Sharadiya Navratri Tantrik Puja Significance: शारदीय नवरात्रि में तंत्र पद्धति की साधना मुख्यतः रात को होती है, जिसे महा-रात्रि निशा पूजा कहते हैं. यह पूजा अष्टमी या सप्तमी के बाद की रात को की जाती है. तांत्रिक इस रात को पूर्ण जागरण के साथ जगदंबा की तंत्र युक्त आराधना करते हैं. इस पूजा में वेद युक्त और तंत्र युक्त विधि से बलि और हवन भी शामिल होता है. साधना का यह समय गहन अंधकार में होता है जब तंत्र-मंत्रों और साधना की शक्ति सबसे अधिक मानी जाती है. यह साधना 29 सितंबर की रात (सप्तमी के बाद अष्टमी तिथि) को आयोजित होगी, जिसमें तांत्रिक पूरे रात्रि जागरण कर देवी की आराधना करते हैं. शारदीय नवरात्रि की ये रातें साधना के लिए बहुत प्रभावी मानी जाती हैं क्योंकि तब मंत्रों और साधना का प्रभाव ज्यादा होता है.
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सरल मंत्र (Sharadiya Navratri Tantrik Puja Significance)
नवरात्रि में तंत्र साधना के दौरान जो मंत्र निस्वार्थ, संकटों में सहायक और बिना स्वार्थ के स्नेह व सुरक्षा देने वाले होते हैं, उनका जाप किया जाता है. ध्यान रहे, मंत्र साधना में गुरु का सानिध्य होना बहुत जरूरी होता है.
- ॐ नमः कालिकायै: काली माता की कृपा पाने और भय दूर करने के लिए.
- ॐ दुर्गे देवि सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिते नमः यह मंत्र शक्ति और समस्त कार्यों की सिद्धि के लिए.
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः यह दुर्गा माता के सर्वव्यापी रूप का सम्मान करता है, संकटों से मुक्ति दिलाता है.
- नर्वाण मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे : इसका कम से कम 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है.
तंत्र पद्धति और कलश विसर्जन (Sharadiya Navratri Tantrik Puja Significance)
कलश के जल विसर्जन को लेकर तंत्र पद्धति में अलग नियम है. यहाँ जल विसर्जन नहीं किया जाता, बल्कि इसे पूजन स्थल पर ही रखा जाता है क्योंकि कलश में देवी का स्वरूप एवं शक्ति रहती है. इसलिए जल को विसर्जित करना तांत्रिक मान्यताओं के अनुसार उचित नहीं माना जाता.
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