विक्रम मिश्र, लखनऊ. भोजपुरी कोकिला शारदा सिन्हा देह की मुक्ति हो गई, लेकिन आज से उनके ही छठ के गीत बजेंगे. भोजपुरी की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी का निधन हो गया है. उन्होंने स्वयं को अपनी देह को मुक्त कर दिया है, लेकिन उनके स्वर अमर हैं. छठ पर उनके ही गीत विश्व के कोने कोने में सुनाई देंगे. छठ के उनके गीतों ने छठ की महिमा बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है. सूरज देव के उगने का आवाहन करने वाली दैहिक शारदा सांस रुक गई.

दुनिया में शारदा जी ने भोजपुरी को जिस माधुर्य के साथ स्थापित किया उसके लिए भोजपुरी भाषा और संस्कृति उनके प्रति सदैव ऋणी रहेगी. शारदा सिन्हा बिहार की एक लोकप्रिय गायिका थीं. इनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ‌ था. गांव हुलास, राघोपुर, सुपौल जिला, बिहार का एक बहुत पिछड़ा क्षेत्र है. उनकी ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है. पति ब्रिज किशोर सिंह का निधन पिछले वर्ष हो गया था. उसके बाद से ही शारदा जी बहुत व्यथित और अस्वस्थ रहने लगी थीं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी.

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इन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी गीत गाये. मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत काफी प्रचलित हुए. इनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध है. दुल्हिन, पीरितिया, मेंहदी जैसे कैसेट्स काफी बिके. बिहार एवं यहां से बाहर दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत अक्सर सुनाई देते हैं.

लोकगीतों के लिए इन्हें ‘बिहार-कोकिला’, ‘पद्म श्री’ एवं ‘पद्म भूषण’ सम्मान से विभूषित किया गया. विश्व का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां शारदा सिन्हा के स्वर न पहुंचे हों. खास तौर पर वे देश जहां भोजपुरी समाज के लोग रहते हैं, वहां के प्रत्येक सामाजिक सांस्कृतिक आयोजन शारदा सिन्हा जी के स्वर से ही पूरे होते हैं. आज से छठ की शुरुआत हो रही है. यह संयोग ही है कि छठ के साए में ही शारदा जी ने अंतिम सांस ली है. भोजपुरी की इस महान सेविका को लल्लूराम डॉट कॉम परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि.

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