Shardiya Navratri 2024: आज शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाएगी. माता ब्रह्मचारिणी का नाम ब्रह्मा जी की शक्ति से प्रेरित है, और इनका उद्भव ब्रह्मा जी के कमंडल से माना जाता है. ब्रह्मा जी, जो सृष्टि के सर्जक हैं, की इस शक्ति ने सृष्टि के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जब उनके मानसपुत्रों से सृष्टि का विस्तार नहीं हो सका, तब माता ब्रह्मचारिणी ने इस कार्य को पूरा किया. इसलिए, स्त्री को सृष्टि का कारक माना जाता है.
माता ब्रह्मचारिणी ज्ञान, वैराग्य और ध्यान की अधिष्ठात्री देवी हैं. इनकी पूजा के दौरान भक्त एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं. करमाला, स्फटिक और ध्यान योग का विशेष महत्व है, जो इस दिन के आध्यात्मिक अभ्यास को और भी गहन बनाता है.
इस दिन भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे जितना अधिक ध्यान करेंगे, उतना ही उन्हें श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा. माता ब्रह्मचारिणी की उपासना से मानसिक शांति, ज्ञान की वृद्धि, और ध्यान में स्थिरता प्राप्त होती है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है.
भक्तजन इस दिन विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसमें मंत्रों का जाप, उपवास, और ध्यान शामिल होता है. इस प्रकार, द्वितीय ब्रह्मचारिणी की पूजा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह जीवन के आध्यात्मिक और मानसिक विकास का भी एक माध्यम है.
उपासना का मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
माता ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग:
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में विशेष रूप से शुद्ध और सात्विक भोग अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित भोग अर्पित किए जा सकते हैं:
- दूध और दूध से बनी मिठाइयाँ: जैसे खीर, दही, और चावल के हलवे।
- फलों का भोग: विशेषकर केला, सेब, और संतरे जैसे ताजे फल।
- सादा चावल और दाल: सादा भोग और साधारण भोजन भी अर्पित किया जा सकता है।
- चिरौंजी और मेवे: जैसे बादाम, काजू, और अखरोट।
- जौ और अनाज: जैसे जौ के लड्डू, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
इन भोगों को मां के चरणों में अर्पित करने से भक्तों को मानसिक शांति, ज्ञान की प्राप्ति और ध्यान में स्थिरता मिलती है. भक्तजन इस दिन उपवास भी रख सकते हैं और अपने मन से माता की आराधना करते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक भोग अर्पित कर सकते हैं. माता ब्रह्मचारिणी के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति से अर्पित ये भोग उन्हें विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं. (navratri ka dusra din)
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