Shardiya Navratri 2024: नवरात्र के पावन अवसर पर मां भगवती के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाएगी. इस स्वरूप के माध्यम से माता ने पिता के कुल की रक्षा का संदेश दिया है. कात्यायन ऋषि ने तपस्वी होकर देवी से वरदान मांगा कि वे पुत्री रूप में उनके कुल में जन्म लें. देवी ने ऋषि की प्रसन्नता के लिए अपना अजन्मा स्वरूप त्याग कर पुत्री रूप में जन्म लिया. (navratri ka 6 din)

दिलचस्प बात यह है कि सामान्यतः पुत्री का गोत्र पति के गोत्र से चलता है, लेकिन देवी ने सदा-सर्वदा के लिए पिता के गोत्र से जुड़कर अपना नाम कात्यायनी रखा. इस विशेषता के कारण मां कात्यायनी का पूजन अति महत्वपूर्ण माना जाता है.

इस रात्रि जागरण और जप करने से साधकों को सहज ही माता कात्यायनी की कृपा प्राप्त होती है. नवरात्र की षष्ठी माता सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान और कला की देवी मानी जाती हैं. इस अवसर पर भक्तगण विशेष रूप से माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करेंगे. (navratri ka 6 din)

उपासना का मंत्र या देवी सर्वभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

माता कात्यायनी को विशेष रूप से मधुर एवं मीठे भोग अति प्रिय होते हैं. इन्हें खासकर खीर, लड्डू, मोदक और मिठाईयों का भोग अर्पित किया जाता है. इसके अलावा, उन्हें फल, विशेष रूप से नारंगी और आम, भी अति पसंद होते हैं. पूजा के समय इन भोगों का अर्पण करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

अगर आप माता कात्यायनी की पूजा करने जा रहे हैं, तो मीठे भोग का विशेष ध्यान रखें. (navratri ka 6 din)