रवि रायकवार, दतिया। Shardiya Navratri 2025: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में मां पीताम्बरा पीठ के अलावा एक और प्रसिद्ध स्थान है। जिसे खैरी वाली माता के नाम से जाना जाता है। यह देवी दिन में तीन स्वरूप बदलने के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नवरात्रि पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है।
मंदिर का इतिहास
मध्य प्रदेश का दतिया ‘माई की नगरी’ के नाम से जाना जाता है। वहीं खैरी वाली माता मंदिर भी एक प्रसिद्ध स्थान है। इस मंदिर का निर्माण दतिया के महाराजा वीरसिंह जू देव ने साल 1658 में करवाया था। उस समय यहां खैर के वृक्षों का विशाल जंगल था। इसलिए इस देवी को खैरी वाली माता कहा जाता हैं। इस जंगल के बीच एक विशाल पहाड़ी भी है, जिसे खैरागढ़ के नाम से जाना जाता था।
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कहा जाता है कि दतिया नरेश को माता ने स्वयं को सेंवढ़ा स्थित सनकुआं में होने का स्वप्न दिया था। जब राजा सनकुआं पहुंचे तो माई का विग्रह प्राप्त हुआ। राजा विग्रह को हाथी घोड़ों के माध्यम से दतिया लाये और अपने महल में विराजने की कोशिश की, तो माई ने उन्हें पुनः खैरागढ़ में स्थापित करने का स्वप्न दिया। तब राजा ने उन्हें खैरी मंदिर पर स्थापित किया।
सुबह-दोपहर और शाम को अलग अलग दर्शन
यह देवी दिन में तीन स्वरूप बदलने के लिए भी प्रसिद्ध है। मां का सुबह का चेहरा बाल अवस्था, दोपहर का युवावस्था और शाम का वृद्धावस्था के रूप में दिखाई देती है। लगभग 50 से अधिक सीढ़ी चढ़ने के बाद मां के दरबार तक पहुंचते हैं। नवरात्रि के पावन पर्व पर यहां 50 से 60 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मध्यप्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भक्त भी बड़ी संख्या में आते है।

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हर मनोकामना होती है पूरी
मंदिर के पुजारी महेश तिवारी ने बताया कि खेरी माता की महिमा अपरंपार है। नवरात्रि में जो भी भक्त यंहा आते है मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है। खंडवा से दर्शन करने आई सिया मालवीय कहती कि सौ वेरी एक खेरी नवरात्रि में मां कई रूप में दर्शन देती है और हर मनोकामना पूर्ण करती है। मंदिर पर भक्तों ने कहा कि सच्चे मन से मां से जो भी मांगों हर मनोकामना पूरी करती है। भक्त यह भी कहते कि सप्तमी पर यंहा विशाल भंडारा किया जाता है। आपको बता दें कि खेरी माता का यह मंदिर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमाओं के बीच पड़ता है। यह दतिया से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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