रवि रायकवार, दतिया। मध्य प्रदेश में दतिया के भांडेर ब्लॉक में रामगढ़ नाम का एक गांव है। इस गांव में देवी का मंदिर है। जिन्हें रामगढ़ की माता के नाम से लोग जानते हैं। यहां बिराजमान माता की मूर्ति एकदम अद्भभुत है। मंदिर इतना सिद्ध है कि माता से जो मनोकामना करो सब पूरी हो जाती हैं।
भांडेर से थोड़ी दूरी पर स्थित इस मंदिर को करीब 3 सौ साल पूर्व राजा बीर सिंह जूदेव ने बनवाया था। इस मंदिर में स्थापित देवी मां की प्रतिमा शायद ही कहीं हिंदुस्तान में होगी। यहां मंदिर में बिराजमान मां दुर्गा काली स्वरुप में हैं। कालीजी कहीं भी सिंह की सवारी पर बिराजमान नहीं है, लेकिन यहां पर हैं।
तंत्र साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ
आमतौर सिंह पर बिराजमान देवीजी के सिंह का मुख बांयी ओर रहता है, लेकिन यहां सिंह का मुख इसके बिपरीत है। तंत्र मंत्र के जानकार मानते हैं कि यहां देवीजी की स्थापना विशेष तांत्रिक पद्धति से की गई है। यहां साधना और अनुष्ठान करने से तुरंत सिद्धि प्राप्त होती है। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि भारत में तंत्र साधना के लिए दो ही स्थान सर्वश्रेष्ठ है पहला असम की कामाख्या देवी दूसरा रामगढ़ की माता।
श्रद्धालुओं का लगता है तांता
इसीलिए मंदिर की स्थापना करवाने वाले राजा वीरसिंह अक्सर यहां आते रहते थे, तभी ये स्थान सिद्ध पीठ माना जाता है। नवरात्रि में रामगढ़ की माता पर दर्शन करने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और भक्त लोग जो भी रामगढ़ वाली मां से कामना करते हैं वह पूरी हो जाती हैं।
हर मनोकामना होती है पूर्ण
अपनी तमाम विशेषताओं को समेटे यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है, दतिया में पीताम्बरा पीठ, रतनगढ़ माता मंदिर जैसे ज्यादा प्रसिद्व मंदिरों के कारण रामगढ़ वाली माता के मंदिर के उतनी प्रसिद्धि भले ही नहीं मिल पाई जितना विलक्षण ये मंदिर है। लेकिन यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कामना करता है उसकी झोली भरते देर नहीं लगती।
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