राकेश चतुर्वेदी, भोपाल/रायसेन । मां काली की टेढ़ी गर्दन दशहरे के दिन कुछ क्षणों केे लिए फिर सीधी होगी। इस दौरान भक्तों के कष्टों का हरण होगा। जिस भक्त पर मैया की कृपा होगी उसे मां की सीधी गर्दन कुछ पल के लिए दिखाई देगी। सीधी गर्दन दिखी मतलब हो गया जन्म-जन्मांतर के कष्टों का हरण। मां की कृपा पाने के लिए दशहरे के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।

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भोपाल जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के गुदावल गांव में मां कंकाली का 400 साल पुराना मंदिर स्थित है। मैया जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसकी सभी मनोकामना पूरी होने के साथ सारे कष्टों का निवारण हो जाता है। यहां मां काली की देश की एकमात्र प्रतिमा है, ज‍िसकी गर्दन 45 ड‍िग्री झुकी हुई है। दशहरे के दिन मैया कुछ क्षण के लिए अपनी गर्दन सीधी करती हैं। जिस भक्त पर मां की कृपा होती है, उसे सीधी गर्दन नजर आ जाती है।

दशहरे पर मैया को प्रसन्न करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं। मंदिर के ट्रस्टी ओमप्रकाश मीना ने बताया कि नवरात्री के दौरान मां भवानी के दर्शन के ल‍िए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आ रहे हैं. भक्तों की अधिक संख्या को देखते हुए पुलिस की ओर से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।

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बंधन बांधने से होती है मुराद पूरी


मंद‍िर को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि जो भी भक्‍त यहां बंधन बांधकर मनोकामना मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। भक्‍त यहां अपनी मुरादों की झोली भरने के लिए बंधन बांधकर जाते हैं। मन्‍नत पूरी होने पर बांधा गया बंधन खोलने आते हैं. संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं उल्‍टे हाथ से गोबर लगाती हैं और मनोकामना पूरी होने पर सीधे हाथ का न‍िशान बनाती हैं।

दी जाती थी भैंसे की बली


कंकाली मंदिर की स्‍थापना को लेकर मान्यता है कि 1731 स्‍थानीय न‍िवासी हर लाल मीणा नाम के व्यक्ति को इस मंदिर के बारे में एक सपना आया था. देखे गए सपने के आधार पर उक्‍त जमीन पर खुदाई की गई तो देवी मां की मूर्ति प्रकट हुई थी. वहीं पर देवी मां की मूर्ति स्‍थाप‍ित की गई. तब से ही मंद‍िर के विस्‍तार और पूजा-अर्चना का क्रम जारी है। मंदिर पर‍िसर के अंदरूनी ह‍िस्‍से में 10 हजार वर्ग फीट के हॉल में एक भी प‍िलर नहीं है, जो क‍ि अपने आप में ही अद्भुत कला का नमूना है। पहले मंदिर में भैंसे की बली दी जाती थी, जिसे 1970 से बंद करा दिया गया है।

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