दिल्ली। शेयर बाजार यूं तो पिछले कई दिनों से बेहद दबाव में दिख रहा था लेकिन एक के बाद एक झटकों ने निवेशकों की कमर तोड़ दी। शेयर बाजार ने पिछले दस सालों में सबसे बुरे दिन देखे।
दरअसल, यस बैंक और कोरोनावायरस की मार से बाजार कराह रहा था लेकिन कच्चे तेल के उत्पादन में रूस और सऊदी अरब के बीच सहमति नहीं बनने के बाद सऊदी प्रिंस ने तेल के दाम में बड़ी कटौती कर दी। जिसका असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दिखा। भारतीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 1,941 अंकों या 5.17 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट के साथ 35,634.95 के स्तर पर बंद हुआ।
आंकड़ों पर गौर करें तो ये पिछले दस साल की सबसे बड़ी गिरावट है, जबकि सेंसेक्स डेढ़ साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले सेंसेक्स का निचला स्तर जून 2018 में 35,622 रहा था, जबकि सेंसेक्स में सबसे बड़ी गिरावट 24 अगस्त, 2015 को 1,624.51 अंकों की रही थी। इंट्राडे कारोबार यानि एक दिन के भीतर कारोबार का हाल देखा जाए तो सेंसेक्स में 22 जनवरी 2008 को 2,273 अंकों की गिरावट आई थी, लेकिन सोमवार को यह रिकॉर्ड भी टूट गया। इतना ही नहीं निफ्टी ने भी कारोबार के दौरान 600 से ज्यादा अंकों की गिरावट दर्ज की।