Share Market में बाजार की समझ होने के साथ ही तकनीकी ज्ञान होना आवश्यक है. जो नए निवेशक है उन्हें बाजार से जुड़े कुछ तकनीकी शब्दों का नॉलेज होना बेहद जरुरी है. आज हम आपको शेयर मार्केट से जुड़ी कुछ तकनीकी शब्दों के बारे में बताने जा रहा है.
भारत में 2 प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं. एक BSE का सेंसेक्स जो 30 प्रमुख कंपनियों की चाल ट्रैक करता है. वहीं, दूसरा है NSE का निफ्टी जिसमें प्रमुख 50 कंपनियों को ट्रैक किया जाता है. हम आपको इक्विटी बाजार से जुड़े ऐसे 10 शब्द के बारे में बताएंगे जिनकी जानकारी हर नए निवेशक को होनी चाहिए.
Intraday Trading (इंट्रा-डे ट्रेडिंग)
बाजार में एक ही कारोबारी दिन पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहते हैं. यहां शेयर खरीदने का मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है.
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Blue-chip stocks (ब्लू-चिप स्टॉक)
मार्केट कैप वाले शेयरों को ब्लू-चिप शेयर कहते हैं. आमतौर पर यह हर क्षेत्र की तीन शीर्ष कंपनियां होती हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज, TCS, ITC और ONGC इसके उदाहरण हैं.
IPO (आईपीओ)
IPO का मतलब आरंभिक सार्वजनिक पेशकश होता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया होती जहां एक निजी कंपनी पहली बार अपने शेयर बाजार में पेश करती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन जाती है. छोटी कंपनियां इसका इस्तेमाल फंड जुटाने के लिए भी करती हैं.
Bull & bear (बुल ऐंड बियर मार्केट)
Share Market में जब तेजी हो तो उसे बुल मार्केट कहते हैं. वहीं, जब Share Market नीचे गिरने लग जाए तो उसे बियर मार्केट कहा जाता है.
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Share Market में Arbitrage (आर्बिट्रेज)
इसका मतलब होता है कि एक ही शेयर को एक ही समय पर अलग-अलग मार्केट्स में बेचना या खरीदना.
रैली
किसी सूचकांक या शेयर लगातार तेजी बनी रहने की स्थिति को रैली कहा जाता है. रैली के बाद अक्सर गिरावट देखी जाती है.
Correction (करेक्शन)
मार्केट जब लगातार टूटना शुरू हो जाता है या कहें कि बाजार में गिरावट चालू हो जाती है तो इसे करेक्शन कहा जाता है.
OHLS (ओएचएलएस)
यह ओपन, हाई, लो और क्लोज का एब्रीवेशन है. इसका मतलब है कि बाजार कितने पर खुला, सर्वाधिक कहां तक गया, सबसे नीचे कहां तक गिरा और किस स्तर पर बंद हुआ. यह इंट्रा-डे के संदर्भ में इस्तेमाल होता है.
स्टॉप लॉस
इसका मतलब है गिरावट का वह स्तर जहां किसी ब्रोकरेज द्वारा शेयर को बेचने की सलाह दी जाती है. ऐसा एक निवेशक का अधिक पैसा डूबने से बचाने के लिए किया जाता है.
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