देहरादून. आज भी मां-बाप की मर्जी बच्चों पर किस कदर थोपी जाती है. इसका अंदाजा हर रोज हमको अपने आसपास रहने वाले लोगों से पता चल जाता है. कैसे होनहार बच्चे सिर्फ अपने मां-बाप की जिद पूरी करने के लिए अपने सपनों का खून कर देते हैं. होली से ठीक पहले एक दिल दहला देने वाली घटना ने पैरेंटिंग पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

उत्तराखंड के गढ़वाल स्थित गवर्मेंट मेडिकल कालेज में एमबीबीएस चौथे साल की होनहार स्टूडेंट शिवानी बंसल ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. फांसी लगाने से पहले शिवानी ने जो सुसाइड नोट लिखा है वो कईयों को रुला गया. शिवानी ने लिखा कि – अब मैं थक गई हूं. मैं कभी भी एमबीबीएस नहीं करना चाहती थी, क्रिकेट खेलना चाहती थी.

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के जशपुर की रहने वाली 22 साल की शिवानी ने हास्टल के अपने कमरे में सीलिंग फैन में फांसी के फंदे में लटककर अपनी जान दे दी. शिवानी काफी दिनों से डिप्रेसन में चल रही थी. कालेज के प्रिंसिपल का कहना है कि शिवानी बेहद होनहार स्टूडेंट थी, उसने 10वीं और 12हवीं में टाप किया था लेकिन वो कालेज में डाले जा रहे पढ़ाई के प्रेशर को नहीं झेल पा रही थी.

अपने सुसाइड नोट में शिवानी ने कहा कि वह क्रिकेटर बनना चाहती थी वो कभी भी एमबीबीएस नहीं करना चाहती थी. सिर्फ अपने पैरेंट्स की मर्जी को पूरा करने के लिए उसने जबरन एडमिशन लिया था.

इस घटना की पूरे उत्तराखंड के साथ साथ सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया यूजर सवाल उठा रहे हैं कि कब तक आखिर बच्चे अपने मां-बाप के सपने पूरा करने की मशीन बने रहेंगे. होली के ठीक पहले एक होनहार और प्रतिभाशाली स्टूडेंट का इस तरह जाना कईयों को गमगीन कर गया.