पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच शिवहर का रण इस बार खास होने वाला है। यहां पारंपरिक नेताओं के साथ-साथ डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता और व्यवसायी भी राजनीति की पिच पर उतरने को तैयार हैं। परदेस से लौटकर लोग अपनी जमीन तलाश रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर ही चुनावी समीकरण साध रहे हैं। चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों के पास केवल धनबल ही नहीं बल्कि समाजसेवा का सहारा भी है। इंटरनेट मीडिया पर धुआंधार प्रचार चल रहा है। कोई दिल्ली से पार्टी का दामन थामे लौट रहा तो कोई पटना में चेहरा चमकाने में जुटा है।

पिता की विरासत थामने उतरे वाकिफ

पूर्व प्रत्याशी मो. जफीर आलम के बेटे मो. वाकिफ भी सक्रिय हो गए हैं। उनके पिता ने 1967 से 1980 तक कई चुनाव लड़े और रघुनाथ झा को कड़ी टक्कर दी थी। अब वाकिफ अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं। पिछली बार वे पप्पू यादव की पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं।

दिल्ली-मुंबई से लौट रहे चेहरे

दिल्ली के बिल्डर और तरियानी निवासी अंगेश कुमार सिंह उर्फ अंगराज भी इस बार किसी पार्टी से मैदान में उतरने का दावा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में वे निर्दलीय लड़े थे। वहीं, दिल्ली और महाराष्ट्र में कारोबार करने वाले शिवहर के आधा दर्जन लोग भी लौटकर राजनीति में किस्मत आजमाने को तैयार हैं।

चिकित्सक और कलाकार भी लाइन में

डॉ. नूतन सिंह, पूर्व स्वास्थ्य उपनिदेशक डॉ. मेहंदी हसन और भोजपुरी अभिनेत्री डॉ. अर्चना सिंह भी टिकट की दौड़ में हैं। इसके अलावा इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके युवाओं ने भी राजनीतिक पारी खेलने का मन बना लिया है।

जनसुराज और बागी नेता

व्यवसायी राधाकांत गुप्ता राजद के संपर्क में हैं तो उद्योगपति नीरज सिंह जनसुराज के करीब बताए जाते हैं। इसी पार्टी से कांट्रैक्टर रामाधार साह भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

अधिवक्ता और शिक्षक भी तैयार

दिल्ली से व्यवसाय छोड़कर लौटे राकेश झा राजद का झंडा थामे हुए हैं, उनका बायोडाटा पार्टी हाईकमान तक पहुंच चुका है। अधिवक्ता मनोज कुमार और डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. अजय कुमार भी चुनावी रण में बैटिंग करने को तैयार बताए जा रहे हैं।