शब्बीर अहमद/आरिफ कुरैशी,श्योपुर। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क फिर बुरी खबर सामने आई है. एक बार फिर चीते के दो और शावकों की मौत हो गई है. ये सभी चीते ज्वाला के शावक थे. इन चीतों की जन्म पार्क में ही हुई थी. इस तरह पिछले 2 महीने के भीतर 3 शावक सहित 6 चीतों की मौत हो चुकी है. पीसीसीएफ जेएस चौहान ने प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी दी है. एक शावक की मौत होने के बाद से तीन अन्य शावक भी बीमार चल रहे थे. डॉक्टरों की देखरेख और निगरानी के दौरान दोनों ने आज दम तोड़ दिया. चौथा शावक भी बीमार ही चल रहा है.

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चीता प्रोजेक्ट पर उठ रहे सवाल

वहीं कूनो प्रशासन के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे है. कूनो नेशनल पार्क में बीते दो महीने में तीन चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है. लगातार कूनो में घट रहे चीतों के कुनबे से अब एक बार फिर चीता प्रोजेक्ट की सफलता पर सवाल पर उठ रहे हैं. वहीं चीतों की मौत से अधिकारी भी चिंतित हैं. शावक से पहले चीता साशा, दक्षा और नर चीते उदय की मौत हो चुकी है. अब कूनो में 17 चीते और एक शावक शेष बचे हैं.

Kuno National Park से फिर आई बुरी खबर, चीता ‘ज्वाला’ के शावक की मौत, अब तक 4 चीतों की गई जान, अधिकारियों में मचा हड़कंप  

मादा चीता ‘ज्वाला’ के शावकों की मौत

प्रेसनोट जारी कर बताया गया कि कूनो नेशनल पार्क में 23 मई को सुबह मादा चीता ‘ज्वाला’ के एक शावक की मौत हुई थी. बाकी 3 शावक और मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम और मानिटरिंग टीम ने दिनभर लगातार निगरानी की. दिन के समय चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया. दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष 3 शावक की स्थिति सामान्य नहीं लगी. यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि 23 मई इस ग्रीष्म ऋतु का सर्वाधिक गर्म दिन भी रहा. दिन का अधिकतम तापमान लगभग 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा. दिनभर अत्यधिक गर्म हवाएं एवं लू चलती रही. तीनों शावकों की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आवश्यक उपचार करने का निर्णय लिया.

मां ज्वाला स्वस्थ, एक शावक का इलाज जारी

2 शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका. एक शावक गंभीर हालत में गहन उपचार और निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया, जहां उसका लगातार उपचार किया जा रहा है. इलाज के लिए हमारे नामीबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों और चिकित्सकों से लगातार सलाह ली जा रही है. यह शावक वर्तमान में गहन उपचार में है. उसके स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है. मादा चीता ज्वाला वर्तमान में स्वस्थ है. जिसकी सतत निगरानी की जा रही है.

चारों शावक थे कमजोर

सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम बजन और अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए. मादा चीता ज्वाला हैण्ड रियर्ड चीता है जो पहली बार माँ बनी है. चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है. इस अवस्था में चीता शावक सामान्यतः जिज्ञासु होते हैं. माँ के साथ लगातार चलते हैं. चीता शावकों ने अभी लगभग 8-10 दिन पूर्व ही माँ के साथ घूमना शुरू किया था. चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यतः अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है. स्टैंडर्ड पोटोकाल अनुसार पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है.

नामीबिया-साउथ अफ्रीका से लाए गए थे 20 चीते

बता दें कि नामीबिया और साउथ अफ्रीका से कुल 20 चीते लाए गए थे. पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर चीतों को बाड़े में आजाद कर देश को चीतों की सौगात दी थी. वहीं, चीतों का क्वारंटाइन पीरियड खत्म होने के बाद इन्हें पर्यटकों के लिए भी खोला जाना था, लेकिन लगातार हो रही मौतों से अब इस प्रोजेक्ट के खटाई में पड़ने के आसार नजर आ रहे हैं.

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