आरिफ कुरैशी, श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर से स्वास्थ्य व्यवस्था की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। जहां एक मासूम को 8 घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिली। वाहन के इंतजार में मासूम ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

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मामला श्योपुर जिला अस्पताल का है। जहां हसन पुर हबेली गांव के निवासी आदिवासी परिवार के बच्चे गांव में खेल रहे थे। खेलते समय सपना आदिवासी गिर गई, जिससे उसके सिर में चोट लग गई। जिसके बाद उसे जिला अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां अस्पताल में भर्ती होने के बाद लगातार 4 घंटे तक सपना झटके खाती रही। ऑक्सीजन स्तर भी निरंतर घटता रहा। इसके बाद जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे राजस्थान के कोटा के लिए रेफर कर दिया। 

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जिला अस्पताल रेफर किये जाने के 8 घंटे बाद भी बालिका को एंबुलेंस नहीं मिल सकी। न ही अस्पताल प्रबंधन बच्ची की सहायता के लिए सामने आया। समाजसेवियों ने परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते आर्थिक मदद कर उसे कोटा के लिए रेफर किये जाने पर व्यवस्था की। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते 8 घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण मासूम बिटिया की जिला अस्पताल में मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद परिजन रोते बिलखते रह गए।

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इस बारे में समाजसेवी बिहारी सिंह सोलंकी का कहना है कि एक सपना बेटी थी, जिसे गंभीर चोट थी। उसे डॉक्टर ने रेफर किया, लेकिन परिजन तैयार नहीं थे। जब परिजनों से पूछा तो उनकी हमने आर्थिक मदद की और तैयार हो गए। लेकिन रात 1:00 बजे से लेकर सुबह 6:30 तक एंबुलेंस बालों को काफी फोन किया। लेकिन जब एम्बुलेंस 6:30 बजे आई तो लड़की की मौत हो गई थी। एंबुलेंस के अभाव में एक मासूम बिटिया को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह एक बेहद दुखद पहलू है। 

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