स्पोर्ट्स डेस्क. शिखर धवन के लिए हिचकिचाहट और फैसले लेने में अनिश्चितता अब बीती बात हो गई है. वे कप्तान के रूप में ऐसे निर्णय करने में नहीं हिचकिचाते हैं जो किसी खिलाड़ी को भले ही अच्छा ना लगे, लेकिन उससे टीम को फायदा पहुंचता है. बाएं हाथ का ये बल्लेबाज न्यूजीलैंड के खिलाफ शुक्रवार से शुरू होने वाले तीसरे वनडे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों (3rd ICC ODI cricket matches) की सीरीज में भारतीय टीम की कमान संभालने के लिए तैयार हैं. ये पहला अवसर नहीं है जब धवन टीम की कप्तानी करेंगे. इससे पहले भी वे कुछ मौकों पर भारत की दूसरी श्रेणी की टीम की अगुवाई कर चुके हैं.
दिल्ली के इस बल्लेबाज ने कहा कि समय के साथ उनकी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार हुआ है. धवन ने कहा कि आप जितना ज्यादा खेलते हैं, अपने फैसलों को लेकर उतने ज्यादा आश्वस्त रहते हैं. इससे पहले ऐसे भी मौके आते थे जबकि मैं किसी गेंदबाज के प्रति सम्मान दिखाते हुए उसे अतिरिक्त ओवर दे देता था, लेकिन अब मैं परिपक्व हो गया हूं और अगर किसी को बुरा भी लगे तब भी मैं वह फैसला करूंगा जिससे टीम को फायदा पहुंचे.
संतुलन बनाना और खिलाड़ियों का भरोसा जीतना महत्वपूर्ण
नेतृत्व कौशल को लेकर आगे बात करते हुए धवन ने कहा कि संतुलन बनाए रखना और खिलाड़ियों का भरोसा जीतना महत्वपूर्ण होता है. वे बमुश्किल ही दबाव महसूस करते हैं और अपने आसपास का माहौल खुशनुमा रखते हैं. धवन ने कहा कि जब आप किसी तार वाले वाद्य यंत्र पर संगीत बजाते हैं तो यदि तार बहुत ढीला है तो उसका स्वर अच्छा नहीं आएगा या यदि तार बहुत कसा गया है तो वह टूट जाएगा. इसलिए ये संतुलन पैदा करने से जुड़ा हुआ है. कप्तान के रूप में संतुलन पैदा करना महत्वपूर्ण होता है.
खिलाड़ियों से कब और कितनी बात करने की समझ
धवन ने कहा कि आपको यह पता होना चाहिए कि कब तार को कसना है और कब उसे थोड़ा ढीला छोड़ना है. ये समय पर निर्भर करता है. इस स्तर पर मैं ये भी समझ गया हूं कब खिलाड़ियों से कैसी बात करनी है और कितनी बात करनी है. उन्होंने कहा कि अगर किसी गेंदबाज की गेंद पर शॉट लगता है तो ये जानना महत्वपूर्ण होता है कि उससे कब बात करनी है. जब माहौल में गर्मी हो तो मैं तब उससे बात नहीं करूंगा. इसकी बजाय मैं उससे बाद में सहजता से बात करूंगा.