रायपुर। शिक्षाकर्मी पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर है. इसके पहले अपनी मांगों को लेकर सरकार से कई बार बात भी की, उन्हें मांगें माने जाने का आश्वासन भी मिला लेकिन आश्वासन सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा. शिक्षाकर्मी अपने और अपने परिवार के भविष्य को लेकर तनाव में हैं.
इसी तनाव का नतीजा है कि एक के बाद एक कई शिक्षाकर्मियों की मौत की खबर आ रही है. किसी की हार्ट अटैक से मौत हो रही है तो किसी की सड़क दुर्घटना में. तो किसी को पैरालिसिस अटैक आ रहा है.
प्रदेश में आंदोलन के दौरान अब तक 4 शिक्षाकर्मियों की मौतें हो गई है. वहीं 1 को पैरालिसिस अटैक आ गया है. ताजा मामला बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के बरबसपुर में पदस्थ मनीष वाधवान की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है. शिक्षाकर्मी वर्ग 1 मनीष अपने घर से आंदोलन स्थल जा रहे थे उसी दौरान एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई.
इन 10 दिनों के आंदोलन में कई शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है. आरोप है कि आंदोलन को खत्म करने के लिए कई पति-पत्नी को आंदोलन करने की वजह अलग-अलग कर दिया गया. जिन्हें पति-पत्नी प्रकरण की वजह से अन्य जिलों से एक जिले में पदस्थ किया गया था.
लल्लूराम डॉट कॉम के लेखक का कमेंट- शिक्षाकर्मियों की मांगे न जाने कब मानी जाएगी. मानी भी जाएगी कि नहीं. लेकिन एक कड़वी यादें हमेशा के लिए उनके जहन में एक छाप जरुर छोड़ जाएगी. वे शायद ही कभी अपने इन साथियों को भूल पाएंगे जो आंदोलन करते-करते मर गए. जिन्होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी पत्नी, अपने पिता, अपना बेटा और अपने भाई-बहन को खोया है. भविष्य में यदि कभी उनकी मांगे मान भी ली गई तो इनके आंखों के उन आंसुओं को कौन पोछेगा. क्या यह राजनीति उन्हें उन खोए हुए अपनों को लौटा देगी.
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