बदायूं. लंदन की संसद में आज बदायूं का नाम गूंज उठा. यहां पर्यावरणविद शिप्रा पाठक ने ब्रिटेन की संसद में भारतीय जल-संस्कृति और नदी संरक्षण मॉडल पर प्रस्तुतीकरण देकर लोगों में भारत की प्रभावी छाप छोड़ी. शिप्रा ने नर्मदा, गंगा और गोमती की दिव्यता का उल्लेख किया. ब्रिटिश सांसदों ने शिप्रा पाठक के जल संरक्षण अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

शिप्रा को 13,000 किलोमीटर की पदयात्रा और 55 लाख पौधरोपण के कार्यों के आधार पर ब्रिटिश संसद में आने का विशेष आमंत्रण मिला था. अब वे थेम्स नदी संरक्षण मॉडल का अध्ययन करेंगी. शिप्रा के ब्रिटिश संसद में जाने के साथ ही भारतीय पर्यावरण चेतना को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिला.

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इसके अलावा शिप्रा पाठक ने भारतीय सभ्यता के मूल विचार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत विश्व कल्याण को अपनी सांस्कृतिक जिम्मेदारी मानता है. उन्होंने चेताया कि बढ़ता जल संकट आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है, इसलिए विश्व को एकजुट होकर प्रयास करना होगा.