शिवसेना ने केंद्र सरकार पर GST को लेकर तीखा हमला किया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने अपने संपादकीय में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर GST के माध्यम से कमाई कर रही है. इसे ‘पैसे की भूखी सरकार’ की संज्ञा दी गई है. संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया है कि GST आम जनता के लिए एक वित्तीय बोझ बन गया है और सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल उठाए गए हैं.

संपादकीय में लिखा गया है, “केंद्र की मोदी सरकार लगातार ‘विकसित भारत’ का दावा कर रही है. सरकार जनता को यह सपना दिखा रही है कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 में भारत एक आर्थिक महाशक्ति कैसे बनेगा. हालांकि, सरकार की आर्थिक नीतियों की सही होने की बात कही जा रही है. GST भी इसी में शामिल है. सरकार यह दिखावा कर रही है कि GST आर्थिक विकास का रास्ता है, जबकि इसका करोड़ों का संग्रह प्रगति की एक छलांग के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है.”

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शिवसेना (UBT) ने GST को आम आदमी की जेब काटने का एक तरीका करार दिया है. संपादकीय में कहा गया, “सरकार GST की प्रशंसा कर रही है क्योंकि इससे हर महीने केंद्रीय खजाने में भारी राजस्व आता है. लेकिन आम आदमी को जो आर्थिक नुकसान हो रहा है, उस पर सरकार ने कभी विचार नहीं किया. GST सरकार के लिए एक राजस्व उत्पन्न करने का साधन हो सकता है, लेकिन आम आदमी के लिए यह एक वित्तीय बोझ बन गया है. सरकार का लक्ष्य भले ही राजस्व बढ़ाना हो, लेकिन आम आदमी को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”

सामना ने लिखा, “ये धन राज्यों का अधिकार है और इससे राज्यों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है. महाराष्ट्र को केंद्र ने 15,558 करोड़ रुपए नहीं दिए, तेलंगाना को 4,531 करोड़, पंजाब को 2,100 करोड़, केरल को 1,600 करोड़, पश्चिम बंगाल को 1,500 करोड़ और दिल्ली को 2,355 करोड़ रुपए नहीं मिल सके. इस वजह से कई राज्यों की वेतन सूची प्रभावित हो गई है.”

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“पैसे को वापस लौटाना होगा”

सामना ने आगे लिखा, “यदि अब GST के पैसे की वापसी में राज्यों की आवाज को दबाने और आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश की जाती है, तो राज्यों को केंद्र की नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी. केंद्र को राज्यों का पैसा वापस करना ही पड़ेगा. क्या आप व्यापारी हो और अपने घर की बात कर रहे हैं? राज्यों का पैसा क्यों लूटते हो? केंद्र को राज्यों का पैसा नहीं लेना चाहिए.”

शिवसेना ने आरोप लगाया कि जब जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर GST लगाया जाता है, तो सरकार के लिए केवल पैसा और राजस्व महत्वपूर्ण हो जाता है. विपक्षी दलों की आवाज को सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर वित्त मंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ है.

संपादकीय में आगे लिखा गया है, “वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में यह दावा किया कि पिछले तीन वर्षों में बीमा पर GST संग्रह बढ़ा है. सरकार को इस बात का न तो कोई अफसोस है और न ही खेद कि इस पैसे को आम जनता की जेब से लिया गया है.”