Maharashtra Political Update News: उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग (Election Commission) को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde) की याचिका पर सुनवाई के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी, जिसमें इसे ‘असली’ शिवसेना (Shiv Sena) के रूप में पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर-कमान आवंटित करने की अपील की गई है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को शिंदे खेमे के ‘मूल’ शिवसेना होने के दावे पर फैसला करने से रोकने की मांग की गई थी.

बेंच में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे. संविधान पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगाई जाए.”

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चुनाव आयोग को शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे के ‘असली’ शिवसेना के दावे पर फैसला करने से रोकने की मांग की गई थी.

बता दें कि इस साल जून में शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को क्रमश: राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

23 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा दायर याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा था, जिसमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक प्रश्न उठाए गए थे.

चुनाव आयोग से शिंदे खेमे की याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं करने को कहा था. पीठ ने कहा था कि याचिकाएं संविधान की 10वीं अनुसूची से जुड़े कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं.

इनमें अयोग्यता, अध्यक्ष और राज्यपाल की शक्तियां और न्यायिक समीक्षा शामिल हैं. संविधान की 10वीं अनुसूची में निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के उनके राजनीतिक दलों से दलबदल की रोकथाम का प्रावधान है और इसमें दलबदल के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं.

ठाकरे खेमे ने पहले कहा था कि शिंदे के प्रति वफादार पार्टी विधायक किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करके ही संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से खुद को बचा सकते हैं. शिंदे खेमे ने तर्क दिया था कि दल-बदल विरोधी कानून उस नेता के लिए कोई आधार नहीं है जिसने अपनी ही पार्टी का विश्वास खो दिया है. (Bal Thackeray) Shiv Sena Eknath Shinde Uddhav Thackeray Bal Thackeray

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