Shiv Sena UBT Attack On PM Modi In Saamana: पीएम नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा को लेकर शिवसेना (यूबीटी) ने निशाना साधा। शिवसेना (यूबीटी) के अपने मुखपत्र सामना में पीएम के चीन दौरे को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। साथ ही प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर करारा वार किया है। शिवसेना (यूबीटी) ने सामना में लिखा कि- पीएम मोदी की विदेश नीति अभी भी रेंग रही है। धानमंत्री को अपने विदेशी दौरों पर करोड़ों रुपये बर्बाद करना बंद कर देना चाहिए और कुछ समय के लिए स्वदेश में ही रहना चाहिए।

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपात्र सामना में लिखा कि प्रधानमंत्री के हाल ही के जापान और चीन का दौरा किया। पहले वो जापान गए और फिर चीन। बताया जा रहा है कि जापान और चीन में प्रवासी भारतीयों ने उल्हास के साथ उनका स्वागत किया. उन्होंने जिंदाबाद के नारे लगाए। हालांकि ये सिर्फ एक दिखावा है।

इसी के आगे पत्र में पीएम पर वोट चोरी को लेकर हमला किया गया है। सामना में शिवसेना ने लिखा है कि मौजूदा हालात में मोदी का भारत में रहना मुश्किल हो गया है। पिछले कुछ दिनों में उनकी प्रतिष्ठा और बची-कुची विश्वसनीयता पर ग्रहण लग गया है। लोकतंत्र को रौंदकर मोदी को भारत की सत्ता मिली है। उन्होंने चुनाव आयोग के साथ सांठ-गांठ करके चुनाव जीता है। उन्होंने वोट चुराए। राहुल गांधी ने बवंडर मचाया कि मोदी लोगों को धोखा देकर प्रधानमंत्री बने हैं। जाहिर है, यह बात विदेशों तक भी पहुंची होगी, इसलिए विदेशों में मोदी के डंके बज रहे हैं, यह तस्वीर भ्रामक है। जो प्रवासी भारतीय विदेशों में मोदी की जय-जयकार कर रहे हैं, उन्हें भारत के हालात और जनभावना का जरा भी अंदाजा नहीं है। ये वो लोग हैं, जिन्हें बीजेपी की विदेशी शाखा सिर्फ मोदी के आने की वजह से जमा करती है।

ऑपरेशन सिंदूर के युद्धविराम को लेकर कटाक्ष

पत्र में आगे कहा गया, मोदी को पहले यह समझ लेना चाहिए कि जेलेंस्की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं और राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में रूस के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। यह हास्यास्पद है कि राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में व्यापारिक कारणों से पाकिस्तान के साथ युद्ध रोकनेवाले प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति को शांति पर प्रवचन दे रहे हैं। कई देश और उनके राष्ट्राध्यक्ष, जिन्हें लगता है कि पुतिन को हराना चाहिए, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं रखते, समय-समय पर जेलेंस्की को फोन करते हैं। क्योंकि इनमें से किसी भी देश में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन करके शांति और संयम पर भाषण देने की ताकत नहीं है इसलिए मोदी का जापान में बैठकर यूक्रेन को फोन करना कोई विशेष बात नहीं है।

चीन के दौरे को लेकर उठाए सवाल

सामना में शिवसेना ने आगे लिखा है कि मोदी जापान से चीन की धरती पर उतरे। मोदी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीनी शहर तियानजिन में उतरे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी वहां आए। मोदी-पुतिन मुलाकात की तस्वीरें भी जारी की गई। पत्र में आगे कहा गया, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और रूस के बीच तेल व्यापार बंद करने की धमकी दी है, यानी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच किस मुद्दे पर बातचीत होगी? मोदी अब चीन का गुणगान करने लगे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का साथ मिलकर काम करना जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के स्थिर और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए सकारात्मक हो सकते हैं। पत्र में आगे कहा गया, मोदी और जिनपिंग ने रविवार को बातचीत की। अगर कोई सोचता है कि चीन और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंध सुधरेंगे और एक नई अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सूत्रपात होगा, तो यह सच नहीं है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ

पत्र में मोदी की विदेश नीति पर सवाल खड़े किए गए हैं। पत्र में कहा गया, इतना कुछ करने के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। अब चीन क्या करेगा? चीन पहले ही लद्दाख और लेह की जमीन पर अवैध कब्जा कर चुका है। अरुणाचल प्रदेश में उसकी घुसपैठ जारी है और भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मजबूत करने की उसकी खुराफातें थमी नहीं हैं। मोदी में इतनी हिम्मत नहीं कि वो चीन से कहें कि वो इसे रोके और भारत के साथ दोस्ती का नया दौर शुरू करे, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप के साये में मोदी की विदेश नीति अभी भी रेंग रही है।

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