Maharashtra: महाराष्ट्र के सियासत में फिर से महायुति सरकार में टकरार की बात सामने आ रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और डिप्टी CM एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) में अनबन चल रहा है. CM न बनाए जाने को एकनाथ शिंदे आज भी नाराज है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने महायुति सरकार को लेकर बड़ा खुलासा किया है. सामना में कहा गया है कि शिंदे और उनके लोग आज महाराष्ट्र के राजनीतिक मामलों में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. CM फडणवीस उन्हें नहीं पूछ रहे हैं. साथ ही मंत्रिमंडल की बैठक में भी शिंदे हाजिर नहीं होते. इसके अलावा शिवसेना ने BJP पर फोन टैप करने का भी गंभीर आरोप लगाया है. सामना में कहा गया है कि, बीजेपी शिंदे और उनके लोगों के टैप करवा रही है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे को लेकर बड़ा दावा किया है. सामना में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में अस्थिर है. बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं की आपस में नहीं बन रही. इसके अलावा एकनाथ शिंदे अब भी दोबारा मुख्यमंत्री न बनाए जाने के सदमे से जूझ रहे हैं और एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी शिंदे और उनके लोगों के टैप करवा रही है, जिससे शिंदे टूट गए हैं, शून्य में चले गए हैं. एकनाथ शिंदे को संदेह है कि दिल्ली में एजेंसियां उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि, प्रचंड बहुमत के बावजूद सरकार और राज्य अस्थिर है. शिंदे पर तलवार के घाव शुरू हो गए हैं. महाराष्ट्र निराश है और अराजकता के हालात में पहुंच गया है.
बीजेपी की गतिविधयों के चलते शिंदे परेशान हो गए हैं. वे मन से टूट गए हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस बात से वाकिफ हैं. दोनों (फडणवीस-शिंदे) के बीच फिलहाल कोई खास रिश्ता नहीं रहा है. शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत का कहना है शिंदे की पार्टी के एक विधायक ने उन्हें विमान यात्रा के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में ये भी कहा गया है कि शिंदे खुद को अपमानित करने के दर्द से बाहर आने को तैयार नहीं हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के ताैर पर ढाई साल के कार्यकाल के दौरान शिंदे और फडणवीस के मुंह विपरीत दिशा में थे. अब फडणवीस सारी कसर निकाल रहे हैं, क्योंकि शिंदे के हाथ में कुछ भी नहीं बचा है.
सामना में प्रकाशित विधायक के साथ हुई बातचीत का अंश
मैं- क्या शिंदे अब भी इसी दुख में हैं कि उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री पद नहीं मिला?
विधायक- वे इससे भी आगे समाधि की अवस्था में पहुंच गए हैं. शून्य में चले गए.
मैं- क्या शिंदे को सदमा पहुंचा है?
विधायक- वे मन से टूट गए हैं.
मैं- क्यों? क्या हुआ?
शिवसेना विधायक- हम आपके नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और 2024 के बाद भी आप फिर से मुख्यमंत्री होंगे, चिंता मत करो. चुनाव में दिल खोलकर खर्च करें, ऐसा आश्वासन अमित शाह ने शिंदे को दिया था. एकनाथ शिंदे ने चुनाव में बहुत पैसा खर्च किया, लेकिन शाह ने अपना वादा नहीं निभाया और उन्हें लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है.
शिंदे पर दबाव, भाजपा किसी की नहीं- संजय राउत
शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा कि हवाई यात्रा में हुई यह बातचीत बताती है कि महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में जा रही है. बीजेपी किसी की नहीं है. शिंदे पर दबाव है. एकनाथ शिंदे और उनके लोग आज महाराष्ट्र के राजनीतिक मामलों में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. शिंदे का तेज खत्म हो गया है. देवेंद्र फडणवीस भी उन्हें नहीं पूछ रहे हैं. मंत्रिमंडल की बैठक में भी शिंदे हाजिर नहीं होते.
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का मानसिक स्वास्थ्य इस हद तक खराब हो गया है कि वह अब विधायकों से चिढ़ जाते हैं. उनके एक प्रिय विधायक ने यह खुलासा किया.सरकारी बैठकों में में भी शिंदे दो घंटे देरी से पहुंचते हैं. बीतें 30 तारीख को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में जिला योजना बोर्ड की बैठक हुई. एकनाथ उस बैठक में कम से कम ढाई घंटे देरी से पहुंचे. ये इस बात का संकेत है कि उन्हें अपने काम में कोई दिलचस्पी नहीं है. बीजेपी विधायकों ने अब मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि शिंदे बैठकों में देर से पहुंचते हैं और इस वजह से सभी परेशान हैं.
शिंदे से अजित पवार की स्थिति बेहतर
एनसीपी नेता अजित पवार की स्थिति एकनाथ शिंदे से बेहतर है. डिप्टी सीएम अजित ने अपनी सीमाएं पहचान ली हैं और फडणवीस के साथ उनके रिश्ते मजबूत हैं. पवार को कुछ नहीं बनना है इसलिए उन्हें अमित शाह की फेहरिस्त में जेंटलमैन बने रहना है. बीजेपी के साथ जाकर अजित पवार ने ईडी की कार्रवाई टलवा दी. एक हजार करोड़ की जब्त संपत्ति छुड़ा ली और बोनस के तौर पर फिर से उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया. अजित पवार इस डील से खुश हैं. डिप्टी सीएम अजित ने इस नीति को स्वीकार लिया है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनना है और मुख्यमंत्री बनने से बेहतर सुरक्षित बाहर रहना बढ़िया है. फिर धनंजय मुंडे का भी बचाव किया जा रहा है, लेकिन शिंदे का ऐसा नहीं है.
एकनाथ शिंदे में आगे आकर लड़ने की ताकत नहीं
एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद कम से कम 21 विधायक देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व को मानते हैं और फडणवीस के निर्देश पर ही सूरत गए, एकनाथ भी इस सच्चाई से वाकिफ हैं इसलिए शिंदे गुट अभी भी एकजुट नहीं है. यह साफ है कि शिंदे खुद डगमगाए हुए हैं और उनमें आगे आकर लड़ने की ताकत बिलकुल नहीं है. एकनाथ को फिलहाल, अमित शाह का समर्थन हासिल है. यह सतही है और काम पूरा होने तक है.
अगर ऐसा नहीं होगा तो शिंदे का नेतृत्व खत्म हो जाएगा. शाह की दिलचस्पी शिंदे में नहीं, बल्कि शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को खत्म करने और मुंबई को पूरी तरह कब्जाने में है. शिंदे की मदद की इसके लिए उन्हें जरूरत है. एक बार शाह का काम हो गया तो शिंदे का काम तमाम होना तय है. एकनाथ शिंदे की पार्टी (चुराई) के पास कोई नीति नहीं है.
शिंदे पर तलवार के घाव शुरू हो गए हैं
पैसे और बची-खुची सत्ता के दम पर उनकी तोड़-फोड़ की राजनीति जारी है, फिर से शिवसेना ही तोड़ते हैं. कांग्रेस-राष्ट्रवादी में नहीं घुसते, क्योंकि मालिक अमित शाह ने उन्हें यही काम दिया है. लेकिन जब वे ऐसा कर रहे हैं तो भाजपा के लोग उनके पैरों के नीचे से दरी खींच रहे हैं. आज दरी खींच रहे हैं, कल पैर काट दिए जाएंगे. प्रचंड बहुमत के बावजूद सरकार और राज्य अस्थिर है. तलवार चलाने वालों का अंत तलवार के घाव से होता है. शिंदे पर तलवार के घाव शुरू हो गए हैं. महाराष्ट्र निराश है और अराजकता के हालात में पहुंच गया है.
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