कमल वर्मा, ग्वालियर. हिंदवी स्वराज का सपना देखने वाले और मुगल साम्राज्य के दांत खट्टे करने वाले महान योद्धा छत्रपति शिवाजी की 8 फीट की अष्टधातु की बनी प्रतिमा जापान में स्थापित होनी है. इसमें एक स्पेशल फाइबर का भी उपयोग किया गया है, जो इस मूर्ति को भूकंप से बचाएगा. क्योंकि जापान में भूकंप का खतरा बना रहता है, इसलिए मूर्ति भूकंपरोधी है और इस मूर्ति की लाइफ तकरीबन 500 साल से अधिक है.

जापान जाने से पहले इस प्रतिमा का पूरे देश भर में भ्रमण हो रहा है. 16 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे से शिव स्वराज रथ यात्रा शिवाजी महाराज की प्रतिमा को लेकर निकाली है. महाराष्ट्र के सतारा में शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. मध्य प्रदेश के बैतूल के रास्ते ग्वालियर पहुंचने पर मराठा समाज और ग्वालियर के प्रबुद्ध जनों ने महाराज बाड़े पर स्वागत सत्कार किया. शिवाजी महाराज की अष्टधातु की यह प्रतिमा 8 मार्च को जापान की राजधानी टोक्यो में स्थापित होगी.

इस प्रतिमा का निर्माण भारतीय मूल के योगेंद्र पुराणिक ने कराया है. उनकी संस्था अमी पुणेकर इस प्रतिमा का निर्माण कराकर पूरे भारत में भ्रमण कर रही है. योगेंद्र भारतीय मूल के जापान में चुने हुए विधायक हैं और उन्हीं के प्रयासों से छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा टोक्यो शहर में स्थापित हो रही है. अब तक यह प्रतिमा 7000 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है. अभी यह प्रतिमा हरियाणा के कुरुक्षेत्र दिल्ली जयपुर आदि शहरों में भी जाएगी. उसके बाद वापस महाराष्ट्र की ओर रवाना होगी.

जहां पर प्रतिमा का विधिवत पूजा अर्चन किया जाएगा. जब यह वापस महाराष्ट्र पहुंचेगी तो वहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस प्रतिमा को एयर कार्गो से जापान के लिए रवाना करेंगे. यह पहला मौका होगा, जब छत्रपति शिवाजी राजे महाराज की प्रतिमा किसी विदेशी धरती पर स्थापित होगी. जापान के राजा इस प्रतिमा को वहां टोक्यो में स्थापित करेंगे.

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