दुनियाभर के मंदिरों में शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा होती है. वहीं, इस मंदिर में शिवजी के पैर के अंगूठे की पूजा होती है. यहां भोलेनाथ अंगूठे में वास करते हैं. राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू में भगवान शिव के छोटे-बड़े मिलाकर कुल 108 मंदिर हैं. माउंट आबू से करीब 11 किमी दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर अचलगढ़ किले के पास स्थित है अचलेश्वर महादेव मंदिर. इस मंदिर की अनेक खासियत है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित भगवान शिव के अंगूठे के कारण ही माउंट आबू के पहाड़ टिके हुए हैं. माउंट आबू के अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिव जी के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा होती है.
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पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथा के अनुसार आबू पर्वत के निकट ब्रह्म खाई के तट पर वशिष्ठ मुनि रहते थे. उसकी गाय कामधेनु खाई में गिर गई थी. मुनि ने गंगा का सरस्वती गंगा का आह्वान किया. इस पर खाई पानी से जमीन की सतह तक भर गया औेर गाय गोमुख पर जमीन से बाहर आ गई. तब वशिष्ठ ने हिमालय से ब्रह्म खाई पाटने का अनुरोध किया तो उसने अपने पुत्र नंदीवर्धन को भेजा. नंदीवर्धन खाई में उतरे तो धंसते ही चले गए. केवल उनका उपरी हिस्सा ही बाहर रहा जो आज आबू पर्वत है. जब नंदी चलने की स्थिति में नहीं रहे तो महादेव ने दाहिने पैर के अंगूठे से उन्हें अचल कर दिया. यह कालांतर में अचलगढ़ बना. Read More – आप भी करते हैं Online और Offline Cosmetic की खरीदी, तो हमेशा इन बातों का रखें ध्यान …
दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग
इस मंदिर की एक और खासियत ये है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में 4 बार अपना रंग बदलता है. यह शिवलिंग देखने में तो बिल्कुल सामान्य शिवलिंग की तरह है, लेकिन इसके बदलते हुए रंग सभी को हैरान कर देते हैं. शिवलिंग का रंग सुबह के समय लाल होता है. दोपहर के समय इसका रंग केसरिया में बदल जाता है, रात होते होते ही ये श्याम रंग का हो जाता है. Read More – Sunset के लिए मशहूर है भारत की ये जगहें, देखना चाहे है डूबते सूरज की खूबसूरती तो पहुंचे यहां …
मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के अवतार भी है
मंदिर परिसर में द्वारिकाधीश मंदिर भी बना हुआ है. गर्भगृह के बाहर वाराह, नृसिंह, वामन, कच्छप, मत्स्य, कृष्ण, राम, परशुराम, बुद्ध व कलंगी अवतारों की काले पत्थर की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं.
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