रायपुर. भोलेनाथ का प्रिय माह यानी सावन आज 6 जुलाई से शुरू हो गया है. इस माह का हिन्दु मान्यताओं के अनुसार काफी महत्व है. यही कारण है कि हर भोले बाबा के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए अपने अपने हिसाब से पूजा पाठ करते है.

मान्यताओं के अनुसार भोले बाबा वैसे तो एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते है. इसके अलावा भगवान शिव को भस्म, धतूरा, भांग, चंदन आदि काफी प्रिय है, लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें भगवान शिव को कभी नहीं चढ़ानी चाहिए.

 जो चीजें भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जानी चाहिए उसके बारे में शिवपुराण में विस्तार से बताया गया है.

केतकी के फूल

शिवलिंग में कभी भी केतकी के फूल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे भगवान शिव रुष्ट हो जाते हैं. दरअसल केतकी के फूल को भगवान शिव से श्राप दिया था. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है. ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे. तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ. दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा. अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले. छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए, ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुंच गए थे. उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया. ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा.

हल्दी

शिवलिंग में हल्दी चढ़ाना वर्जित माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार हल्दी पुरुष तत्व का प्रतीक है जोकि महिलाओं से संबंधित है.

तुलसी

भगवान शिव को तुलसी की पत्तियां नहीं चढ़ानी चाहिए. शिव पुराण के अनुसार जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था. जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है. लेकिन जालंधर को मारने के लिए भगवान विष्णु और शिव ने उसे मारने की योजना बनाई. जब जालंधर की पत्नी को पति की मौत से नाराज़ होकर भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था. इसके साथ ही श्राप दिया था उनकी पूजा में तुलसी की पत्तियां वर्जित रहेगी.

नारियल पानी

नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिव जी को अर्पित करना अशुभ माना जाता है.

शंख से जल

शिवपुराण केअनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है लेकिन शिव की पूजा नहीं की जाती है.

कुमकुम

शिवपुराण के अनुसार कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं. इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित है.

टूटे हुए चावल

टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है. इसलिए शिवलिंग पर हमेशा अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किया जाना चाहिए. टूटे चावल चढ़ाने का फल नहीं मिलता है.

तिल

शिवपुराण के अनुसार तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुए थे. इस कारण इन्हें भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है.