परवेज खान, शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली एक बार फिर उजागर हुई है, जब एक मां अपनी 11 माह की बीमार बच्ची को बचाने के लिए तीन सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने के बावजूद उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका, जिससे बच्ची की मौत हो गई। यह घटना मप्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की हकीकत को बेनकाब करती है।

लुकवासा क्षेत्र के ग्राम बड़खेड़ी निवासी मनीषा आदिवासी की 11 माह की बेटी उल्टी-दस्त से पीड़ित थी। मनीषा अपनी बेटी को लेकर पहले लुकवासा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, जहां उसे उपचार नहीं मिला और कोलारस स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह दी गई। कोलारस स्वास्थ्य केंद्र में भी डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण उसे शिवपुरी जिला अस्पताल भेज दिया गया।

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बस में धक्के खाती हुई मनीषा अपनी मासूम बेटी को लेकर जिला अस्पताल पहुंची, लेकिन यहां पर्चा बनाने में 30 से 60 मिनट की देरी हो गई। इस बीच, बच्ची रामबेटी ने दम तोड़ दिया।

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इस मामले की चिंताजनक बात यह है कि न तो लुकवासा और न ही कोलारस स्वास्थ्य केंद्र ने एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का प्रयास किया। शिवपुरी जिला अस्पताल में भी इलाज में देरी होने के कारण बच्ची को नहीं बचाया जा सका। अस्पताल से बच्ची के शव को घर ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस नहीं दी गई। आखिरकार, अस्पताल में मौजूद लोगों ने कुछ चंदा इकट्ठा कर मनीषा और उसके पिता को दिया, जिससे वे अपनी मासूम बच्ची का शव गोद में लिए घर लौट गए।

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