शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में आदिवासी सियासत जोर पकड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस (world tribal day) पर अवकाश घोषित किया था। जिसे शिवराज सरकार ने निरस्त कर ऐच्छिक अवकाश कर दिया है। वहीं अब 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती (Lord Birsa Munda Jayanti) पर अवकाश घोषित किया है।
शिवराज सरकार भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाएगी। इस अवसर पर राजधानी भोपाल में भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। सरकार और भाजपा संगठन का कहना है कि 15 नवंबर तक वे प्रदेश भर में जनजातियों से जुड़े विभिन्न आयोजन करेंगे इसकी तैयारियां बीजेपी दफ्तार में शुरू भी हो गई है, पूरे दफ्तर को आदिवासी परिदृश्य में बदला जा रहा है।
क्यों भाजपा को भा रहे आदिवासी
मध्यप्रदेस की कुल जनसंख्या की लगभग 20 प्रतिशत आबादी से ज्यादा यानी लगभग दो करोड़ आदिवासी हैं। प्रदेश की 230 विधानसभा में से 47 सीटें जनतजातीय समाज के लिए आरक्षित है। इसमें से 2018 में 30 सीटें कांग्रेस और 16 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी। जनगणना 2011 के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं। इनमें भील-भिलाला आदिवासी समूह की जनसंख्या सबसे ज्यादा 59.939 लाख है। इसके बाद गोंड समुदाय का नंबर आता है, जिनकी आबादी 50.931 लाख है। इसके बाद कोल 11.666 लाख है। कोरकू 6.308 लाख और सहरिया 6.149 लाख का नंबर आता है।
मध्यप्रदेश में कुल आबादी का 20 फीसदी आदिवासी
प्रदेश में कुल आबादी का 20 फीसदी आदिवासी (Tribals constitute 20% of the total population in the state.) है। लेकिन एमपी की सरकार में इसका सीधा असर पड़ता है। यही कारण है कि आदिवासियों को लेकर सियासत सूबे में गरमाती आई है। बिरसा मुंडा की जयंती पर बीजेपी और सरकार जो बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है इसे कांग्रेस के विश्व आदिवासी दिवस का जवाब के तौर पर देखा जा है।