भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. बीजेपी के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड शिवराज के नाम दर्ज हो गया है. आज 17 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज ने 15 साल 11 दिन मुख्यमंत्री बने रहने के बाद रिकॉर्ड तोड़ा है. अब तक ये रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नाम था. रमन सिंह 15 साल 10 दिन मुख्यमंत्री रहे हैं.
शिवराज के चार साल का कार्यकाल
शिवराज सिंह चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री बने. उनका कार्यकाल 12 दिसंबर 2008 तक रहा है. उसके बाद 13 दिसंबर 2008 से 13 दिसंबर 2013 सीएम रहे. फिर 14 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक मुख्यमंत्री बने रहे. 2018 में कमलनाथ की सरकार बनी, जो कि 15 महीने में गिर गई. इसके बाद 23 मार्च 2020 को चौथी बार शिवराज मुख्यमंत्री बने और उनका कार्यकाल अभी जारी है.
लगातार चौथी बार बने सीएम
इस तरह मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. वो आज उनका कार्यकाल 15 साल 11 दिन मुख्यमंत्री बने रहने का बन गया है. इससे पहले ये रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नाम था. रमन सिंह 15 साल 10 दिन मुख्यमंत्री रहे हैं. जिसे शिवराज ने आज तोड़ दिया है.
सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ जन्म
बता दें कि शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ है. शिवराज के पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है. उनके पिता किसान थे. शिवराज सिंह चौहान किरार राजपूत समुदाय से संबंध रखते हैं. उन्होंने कक्षा चौथी तक की पढ़ाई गांव में ही पूरी की.
साल 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए
इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल आ गए. यहां उन्होंने मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया. यहीं पढ़ाई करते हुए शिवराज सिंह चौहान पहली बार साल 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. जिसके बाद वो लगातार आगे बढ़ते गए. अब शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं.
आपातकाल के दौरान जेल गए
शिवराज सिंह चौहान ने एक किसान के बेटे की पहचान के लिए कांग्रेस सरकार में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था. इस दौरान वे वर्ष 1976-77 में जेल भी गए थे. शिवराज सिंह चौहान जब महज 13 साल के थे, तब वे 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए थे. इसके बाद वे समय-समय पर आम जनता के मुद्दों को उठाते रहे.
एबीवीपी में शामिल हुए और फिर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा
शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1977-1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने. वह 1978 से 1980 तक मध्य प्रदेश में एबीवीपी के संयुक्त मंत्री रहे. वह 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राज्य महासचिव रहे और 1982-1983 में राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य चुने गए.
वर्ष 1984-1985 में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा के संयुक्त सचिव और वर्ष 1985 में महासचिव बनाए गए. वे 1988 तक इस पद पर रहे, जबकि वर्ष 1988 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. भारतीय जनता युवा मोर्चा की. वह 1991 तक इस पद पर रहे. 1990 के विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार शिवराज ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक बने.
अटल के इस्तीफे के बाद बने सांसद
विदिशा लोकसभा सीट से तत्कालीन सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1991 में अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने यहां से लोकसभा उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर सांसद के रूप में संसद पहुंचे. सांसद बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के बंधन में बंध गए. साधना गोंदिया के मातनी परिवार की बेटी थीं. साधना से शिवराज के दो पुत्र हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री पद तक
शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 1996 में हुए 11वें लोकसभा चुनाव के दौरान फिर से विदिशा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 1998 में जब 12वीं लोकसभा का चुनाव हुआ तो वे विदिशा से ही तीसरी बार सांसद चुने गए. इसके बाद साल 1999 में हुए 13वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज चौथी बार सांसद बने. इस चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा समर्थित एनडीए सरकार सत्ता में आई. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे.
साल 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज पांचवीं बार सांसद चुने गए थे. जबकि वर्ष 2005 में शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था. 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया, तो शिवराज पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. अगले ही साल उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.
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