रायपुर. सावन के महीने में कभी भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, लेकिन आज शनिवार को शिवरात्रि का दिन सबसे उत्तम है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला सोमवार भी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उत्तम होता है. इसके अलावा पूर्णिमा, अमावस्या को धारण करना श्रेष्ठ माना जाता है. रुद्राक्ष एक, सत्ताईस, चौवन या एक सौ आठ की संख्या में धारण करना चाहिए. इसको धारण करने के बाद मांस और मदिरा का सेवन ना करें.

रुद्राक्ष को धातु के साथ धारण करना और भी अच्छा होता है. भगवान शिव की सबसे प्रिय वस्तु रुद्राक्ष को धारण करना है. ये रत्न की तरह काम करता है और इसके प्रभाव से जीवन में सकारात्मक प्रभाव दिखने लगते हैं. रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसमें साक्षात महादेव वास करते हैं. यही वजह है कि रुद्राक्ष और महादेव का संबंध अटूट माना गया है.

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई थी इसलिए इस भगवान शिव का स्वरूप माना गया है. प्राणियों के कल्याण के लिए जब कई सालों तक ध्यान करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं, तब आंसुओं की बूंदें गिरीं और उनसे महारुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हुए. रुद्र की आंखों के उत्पन्न होने के कारण इन्हें रुद्राक्ष कहा गया.

धारण करने पहले जानें उचित विधि

रुद्राक्ष का महत्व किसी रत्न से कम नहीं होता इसलिए इसे धारण करने से पहले उचित दिन और सही विधान का ध्यान रखना जरुरी है. गलत रुद्राक्ष, गलत दिन या गलत विधि से धारण करने पर इसके अनुकूल प्रभाव के बजाए प्रतिकूल प्रभाव भी दिख सकते हैं, इसलिए सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने के से पहले ये जान लें कि आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

रुद्राक्ष पहनने से क्या फायदा?

रुद्राक्ष को भगवान शिव का सबसे खास और प्रिय आभूषण कहा जाता है. रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है. इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है. हृदय रोग और अशुभ ग्रहों के प्रभाव के मामले में रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ होता है. रुद्राक्ष व्यक्ति के तेज और ओज में वृद्धि कराता है और पापों का नाश करता है.