प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ वाराणसी में 23 साल पहले दर्ज हुई एफआईआर पर शुरू हुए ट्रायल को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. यह फैसला न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता की ओर से निचली अदालत में शुरू हुई आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनाया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 30 अक्टूबर को निर्णय सुरक्षित किया था.

मामला वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र का है. वर्ष 2000 में चर्चित संवासिनी कांड को लेकर कमिश्नर ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में रणदीप सिंह सुरजेवाला भी शामिल हुए थे. यूथ कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा, हंगामे, तोड़फोड़ व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में कांग्रेस नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. अप्रैल 2022 में वाराणसी की सत्र अदालत ने इस मामले का विचारण शुरू किया, जिसके बाद सुरजेवाला ने इस दलील के साथ आपराधिक कार्यवाही को चुनौती दी थी कि मामले से जुड़े ओरिजिनल रिकॉर्ड खराब हो चुके हैं या गायब हैं.

रणदीप सिंह सुरजेवाला की तरफ से सीनियर एडवोकेट सैयद गुलाम हसनैन ने यह दलील भी दी कि हाईकोर्ट के आदेश पर वाराणसी की सत्र अदालत द्वारा सुरजेवाला को मुहैया कराए गए दस्तावेज पढ़ने लायक नहीं हैं. इसलिए अपठनीय दस्तावेजों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती. ऐसे में कांग्रेस नेता के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही रद्द की जानी चाहिए.

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कोर्ट ने सुरजेवाला की ओर से दी गई दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि महज देरी के आधार पर आपराधिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता. हालांकि, सुरजेवाला के वकील के मुताबिक निचली अदालत से सुरजेवाला के खिलाफ जारी हुए गैर जमानती वारंट पर उच्चतम न्यायालय द्वारा पांच हफ्ते के लिए लगाई गई गई रोक प्रभावी है.