हिंदू धर्म में जहां सावन माह का विशेष महत्व है। सावन मास में हर सोमवार को जहां भक्त बाबा भोलेनाथ की आराधना करते हैंए वहीं दूसरी ओर सावन महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि को भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसारए सावन माह में देवी. देवताओं की उपासना करने से मनोकामना पूरी होती है। इस साल सावन मास 59 दिनों का होने के कारण दो अमावस्या तिथि और दो पूर्णिमा तिथि पड़ रही है। इस बार सावन पूर्णिमा पर दो खास संयोग बन रहे हैंए जो शुभ फल देंगे।
श्रावणी व्रत पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है और चंद्र दोष दूर होता है। वहीं भगवान विष्णु की पूजा से जीवन में खुशियां आती हैं। इसलिए रखते हैं सावन अधिक पूर्णिमा व्रत श्रावण मास में प्रथम पूर्णिमा तिथि के दिन पूर्णिमा व्रत और मंगला गौरी व्रत का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ.साथ दान और पूजा.पाठ का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि विधि.विधान के साथ पूजा करने से माता पार्वती और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख.समृद्धि आती है। सावन की पूर्णिमा की पूजा और व्रत सावन की पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता हैण् पूर्णिमा की पूजा करने की सही विधि क्या है और इसके लिए आपका किस सामग्री की जरुरत होगी आइए आपको ये भी बताते हैं।
पूर्णिमा पूजा के लिए सामग्री
शिवलिंग
गंगाजल या पवित्र जल
धूप
दीपक , घी या तेल का
बेलपत्र
फूल
धातू चढ़ाने के लिए सामग्री,सोने या चांदी काद्ध
पूजन के विशेष सामग्री चावल, पंचामृत, दूध, दही ,घी ,शहद
सावन अधिक पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिकए श्रावण पूर्णिमा तिथि के दिन दो शुभ संयोग निर्मित हो रहे हैं। पहला शुभ योग है प्रीति योग और दूसरा आयुष्मान योग। साथ हीए उत्तराषाढ़ नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसारए प्रीति योग रात्रि 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा और इसके तत्काल बाद आयुष्मान योग शुरू हो जाएगा। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम 05 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।