Shree Kaal Bhairav: काल का अर्थ है मृत्यु, भय और अंत, जबकि भैरव का अर्थ है भय पर विजय पाने वाला. जिससे काल भी डरता है. काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्टों से भी छुटकारा मिलता है. भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की तीन शक्तियां समाहित हैं. भगवान भैरव को महादेव का गण और पार्वती का अनुयायी माना जाता है. इस बार 23 नवंबर शनिवार के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाएगी.
Shree Kaal Bhairav का महत्व
हिंदू देवताओं में भगवान भैरव का बहुत महत्व है. साथ ही भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. काशी में भैरवनाथ के दर्शन के बिना विश्वनाथ का दर्शन अधूरा ही माना जाता है.
भैरवनाथ की पूजा करने मात्र से शनि का प्रकोप शांत हो जाता है. साथ ही जातक को साढ़ेसाती, ढैय्या से राहत मिलती है. भैरव आराधना का साखा दिन रविवार और मंगलवार हैं. भैरव पूजा करने से पहले यह जान लें कि आपको कुत्ते को डांटना नहीं है और उसे भरपेट खाना खिलाना है. जुआ, सट्टा, शराब, सूदखोरी, अनैतिक कार्य आदि से दूर रहकर भैरव की आराधना करें. अपने दांतों को भी साफ रखें. पवित्रीकरण के बाद ही भैरवनाथ की सात्विक पूजा करें. भैरव पूजा में अपवित्रता वर्जित है.
ऐसे करें कालभैरव को प्रसन्न
1. यदि आप कालभैरव अष्टकम का जाप करते हैं तो आत्मा भगवान कालभैरव के चरणों तक पहुंच जाएगी. यह दरिद्रता को दूर कर, दुःख-दर्द, नफरत और अन्य बुरी आत्माओं को आपसे दूर रखते हैं.
2. काल भैरव की पूजा या अनुष्ठान के लिए ॐ काल भैरवाय नम: मंत्र का जाप करें. इससे भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं और सभी तरह मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
3. काल भैरव जयंती के दिन रात 12 बजे भैरव मंदिर जाएं और सरसों के तेल का दीया जलाएं और भगवान भैरव को नीले फूल अर्पित करें.
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