अमित पाण्डेय, खैरागढ़। छुईखदान में शनिवार को श्री सीमेंट परियोजना के विरोध में बड़ा जन-आंदोलन हुआ. इस आंदोलन के बीच शाम को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया तो स्थित गंभीर हो गई. कई प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़कर पुलिस वालों को दौड़ाया. इसे लेकर आज ग्रामीणोंने कहा कि हमने केवल शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. शाम को अचानक भीड़ में कुछ असमाजिक तत्व आ घुसे और उन्होंने ही उपद्रव मचाया है. ग्रामीणों सफाई देने के साथ ही प्रशासन को यह चेतावनी भी दी है कि यदि जनसुनवाई रद्द नहीं की गई, तो आंदोलन अब और भी उग्र होगा.

बता दें, 6 दिसंबर को 40 गांवों से बड़ी संख्या में छुईखदान (खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला) पहुंचकर प्रस्तावित सण्डी चूना पत्थर खदान और सीमेंट प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. दोपहर तक हालात पूरी तरह नियंत्रित थे और किसान तय कार्यक्रम के मुताबिक एसडीएम कार्यालय पहुंचकर शांतिपूर्वक अपनी मांगें रख रहे थे. लेकिन शाम होते-होते भीड़ में शामिल कुछ अराजक तत्वों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

किसानों का कहना है कि उन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखा था, मगर अचानक हुई तोड़फोड़ से वे भी हैरान रह गए. अब बड़ा सवाल यह है कि भीड़ में अशांति फैलाने वाले लोग कौन थे? पुलिस भी इस दिशा में जांच कर रही है. तनाव बढ़ने के कुछ देर बाद स्थिति पर काबू पा लिया गया और शाम तक माहौल सामान्य हो गया.

ट्रैक्टर रोकने से भड़का आंदोलन

प्रदर्शन की शुरुआत तब तेज हुई जब छुईखदान नगर सीमा में किसानों के ट्रैक्टरों को रोक दिया गया. इससे नाराज़ किसान सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे. ट्रैक्टरों के आगे बढ़ने की अनुमति न मिलने पर किसान पैदल ही जुलूस की शक्ल में एसडीएम कार्यालय की ओर बढ़े. कार्यालय परिसर को पहले ही छावनी में तब्दील कर दिया गया था.

भीड़ ने कार्यालय में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया. किसान बाहर ही धरने पर बैठ गए और लगभग दो घंटे तक विरोध जारी रहा.

किसानों ने सौंपा ज्ञापन, रद्द करने की मांग

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे गिरवर जंघेल, मोतीलाल जंघेल, सुधीर गोलछा, कामदेव जंघेल और पूर्व जनपद सदस्य लुकेश्वरी जंघेल ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर 11 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई रद्द करने की मांग की. प्रदर्शन में महिलाओं और युवाओं की भी बड़ी भागीदारी रही.

किसानों ने प्रदर्शन के दौरान “हम अपनी जमीन नहीं देंगे”, “किसानों को सहयोग नहीं तो किसानों का वोट नहीं” और “जय जवान, जय किसान” जैसे नारे लगाए.

सीमेंट प्लांट के विरोध के कारण

किसानों का आरोप है कि प्लांट खुलने से—

  • भूमि बंजर हो जाएगी
  • भूजल स्तर तेजी से गिरेगा
  • प्रदूषण बढ़ेगा और बीमारियां फैलेंगी
  • रोजगार का दावा भी भ्रामक है; कंपनी दस्तावेजों में केवल 138 नौकरियों का उल्लेख है, जिसे किसान नगण्य मानते हैं

किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि “अगर 11 दिसंबर की जनसुनवाई रद्द नहीं की गई, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा.”

अब पूरा क्षेत्र 11 दिसंबर के फैसले का इंतजार कर रहा है—क्या किसान अपनी उम्मीदों के अनुरूप परिणाम पाएंगे या संघर्ष का नया चरण शुरू होगा, यह आने वाला समय बताएगा.