मां महानदी जागरूकता अभियान के तहत श्री गणेश घाट का यह कायाकल्प, एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति कर रहा है. आस्था, पर्यटन, पर्यावरण और आजीविका. प्रशासन की दूरदर्शिता और जनभागीदारी के साथ यह परियोजना यदि सफल होती है, तो यह मॉडल छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश के अन्य भागों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकती है.

रवि साहू, धमतरी। छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा कही जाने वाली महानदी अब एक नए रूप में संवरने जा रही है. धमतरी जिले के सिहावा में स्थित महानदी के उद्गम स्थल श्री गणेश घाट में मां महानदी जागरूकता अभियान के तहत सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार का काम शुरू हो चुका है.

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यह पहल न केवल धार्मिक आस्था को संबल देगी, बल्कि पर्यटन को भी नयी उड़ान देगी और साथ ही साथ स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी. श्री गणेश घाट, जो न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्यों ओडिशा, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है, अब अपने सौंदर्य और सुव्यवस्थित अवस्थिति के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. सावन मास में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो अब और भी सुव्यवस्थित और रमणीय वातावरण में दर्शन और स्नान का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे.

जानकारी के अनुसार, उद्गम स्थल के आसपास लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र का कायाकल्प किया जाएगा. इस कार्य में सड़क के साथ एनीकट का निर्माण, घाटों का जीर्णोद्धार और समग्र पर्यावरणीय सौंदर्यीकरण शामिल है. घाट क्षेत्र में चल रहे कार्यों की बात करें, तो वर्तमान में सड़क किनारे लगभग 20,000 वर्गफिट क्षेत्र में आकर्षक पेंटिंग का काम जारी है, जिसकी लागत 20 लाख रुपए बताई जा रही है. यह रंग-बिरंगी भित्तिचित्र श्रृंखला न केवल दर्शकों का ध्यान खींच रही है, बल्कि सोशल मीडिया के दौर में सेल्फी पॉइंट के रूप में भी लोगों के बीच लोकप्रिय हो चुकी है.

केवल एक नदी नहीं महानदी

धमतरी जिले के कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने कहा मां महानदी जागरूकता अभियान के तहत हम 15 से 20 किलोमीटर क्षेत्र को रीजुवेनेट कर रहे हैं. महानदी केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर है. इस दृष्टिकोण से इसे बड़े स्तर पर विकसित किया जा रहा है.उन्होंने आगे बताया कि इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट राज्य सरकार को भेजा गया है. प्रस्तावित एनीकट निर्माण से पानी का गिरता स्तर नियंत्रित रहेगा, वहीं इसके माध्यम से आसपास के क्षेत्रों में जल संसाधन की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी.

कलेक्टर मिश्रा के अनुसार इन विकास कार्यों से स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, चाहे वह पर्यटन-आधारित स्वरोजगार हो, गाइड सेवाएं, खानपान से जुड़ी गतिविधियाँ हों या फिर स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पादों की बिक्री.

युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक उत्साह

गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी में इन कार्यों को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस परियोजना से सिहावा और आसपास के ग्रामीण अंचलों को एक नई पहचान मिलेगी. छोटे दुकानदारों, वाहन चालकों, हस्तशिल्पियों और लोक कलाकारों के लिए यह पहल संभावनाओं का नया द्वार खोल रही है. पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रशासन की इस पहल की सराहना की है. उनका मानना है कि नदी और उसके उदगम स्थल के संरक्षण के लिए यह कार्य एक सकारात्मक संदेश देगा, जिससे भावी पीढ़ियों को स्वच्छ और समृद्ध जल स्रोत प्राप्त होगा.

सिहावा पर्वतमाला से होता है उद्गम

भारत की प्रमुख नदियों में शामिल महानदी का उद्गम सिहावा पर्वतमाला से होता है. यह नदी छत्तीसगढ़, ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है. प्राचीन मान्यताओं और भौगोलिक महत्व को देखते हुए इस नदी का महत्व अपार है. आज जब जल स्रोतों की सुरक्षा और पुनरुद्धार की बात हो रही है, ऐसे में यह प्रयास एक आदर्श उदाहरण है.