Shri Jagannath Snan Yatra 2023. पुरी की प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए 4 जून रविवार ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सहस्त्रधारा स्नान करेंगे. उसके बाद 15 दिनों तक भक्त उनके दर्शन नहीं कर सकेंगे. क्योंकि इस दौरान भगवान जगन्नाथ के मंदिर के कपाट बंद रहेंगे. उसके बाद 16वें दिन मंदिर के कपाट खुलेंगे और भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच जाएंगे. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान की स्नान यात्रा (Snan Yatra 2023) शुरू हो चुकी है. स्नान के बाद आज दिनभर महाप्रभु भक्तों के दर्शन देंगे. जिसके बाद कल से 15 दिनों के लिए मंदिर के पट बंद हो जाएंगे.

वैसे तो भगवान को प्रतिदिन स्नान कराया जाता है. लेकिन ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को 108 घड़ों के जल से सहस्त्रधारा स्नान कराया जाता है. जिसमें ज्यादा स्नान की वजह से भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं. इस वजह से मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है और भगवान 15 दिनों तक विश्राम करते हैं.

नहीं होती पूजा

बीमार होने के बाद जब भगवान 15 दिनों तक विश्राम करते हैं, तो इस दौरान उनकी पूजा नहीं होती और ना ही मंदिर घंटे घड़ियाल बजाए जाते हैं. इस अवधि में भगवान का उपचार किया जाता है. उनकी मालिश भी की जाती है. भोग की जगह भगवान को केवल काढ़ा दिया जाता है. इस दौरान भगवान के दर्शन नहीं होते. आषाढ़ कृष्ण दशमी तिथि को मंदिर में चका बीजे नीति रस्म होती है, जो भगवान जगन्नाथ के सेहत में सुधार का प्रतीक है. इस साल चका बीजे नीति रस्म 13 जून को होगी.

नेत्रोत्सव के साथ नवयौवन रूप में दर्शन देते हैं भगवान

आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि को भगवान जगन्नाथ पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं और उस दिन मंदिर में नेत्र उत्सव मनाया जाता है. इसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं. नेत्र उत्सव को नबाजोबन दर्शन भी कहा जाता है. इसके बाद से भगवान की दिनचर्या फिर से सामान्य हो जाती है. इस साल नेत्र उत्सव 19 जून सोमवार को होगा.

इसके अगले दिन यानी आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन मंदिर से बाहर निकलकर अपने भक्तों के बीच जाते हैं. जिसे रथ यात्रा (rath yatra 2023) कहा जाता है. तीनों अपने रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं. जहां 7 दिन तक मौसी गुंडिचा उनका सत्कार करती हैं, खूब लाड़ करती हैं और भगवान को उनके मन पसंद पकवान खिलाती हैं. इसके बाद भगवान अपने श्री मंदिर वापस लौटते हैं. जिसे बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है.

मनुष्यों की दिनचर्या

भगवान जगन्नाथ को कलयुग का देवता कहा जाता है. श्री जगन्नाथ की दिनचर्या मनुष्य की तरह ही होती है. प्रतिदिन भगवान को मंजन, स्नान, आदि कराया जाता है. फिर भोग लगाया जाता है. इसके बाद मंगल आरती होती है. भगवान को दिन में पांच बार भोग लगता है.