भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी पूरे प्रदेश में श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी की धूम है। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। देर रात तक कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाएगा। कई जगह दही हांडी लूट का भी आयोजन किया गया है।
कुमार इंदर, जबलपुर। शहर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। जबलपुर के गढ़ा स्थित 600 साल पुराना पचमठा मंदिर में लघु काशी, वृंदावन के दर्शन भी होते हैं। इस ऐतिहासिक प्रसिद्ध मंदिर का पौराणिक महत्व है। खास बात ये हैं कि मंदिर में विराजे भगवान राधा और श्रीकृष्ण की प्रतिमा यमुना नदी में मिली थी। इस धार्मिक व रमणीय स्थल में एक अलग तरह की अध्यात्मिक अनुभूति होती है। सुंदर, नक्काशीदार मंदिर की बनावट व शांत और खूबसूरत वातावरण श्रद्धालुओं के साथ ही यहां भक्तिभाव से आने वालों को आनंदित करता है। मंदिर परिसर में श्रीराधा, कृष्ण की प्रतिमा के अलावा द्वादश ज्योतिर्लिंग, राम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित है।
अमित कोंडले, बैतूल। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर में द्वापर युग का दृश्य सजीव हो उठा जब कंस के कारावास में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। मंदिर प्रबंधन द्वारा यहां द्वापर युग का सेट बनाया गया है जिसमें कंस कारवास में भगवान के जन्म के बाद उन्हें उफनती यमुना पार करके ब्रजधाम तक पहुंचाने का सजीव चित्रण किया गया। जिसे देखने देश विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे है। मंदिर में पूरे 48 घंटे तक श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा आपने कई बार सीरियल्स या फिल्मों में देखी होगी लेकिन अगर इस पूरे घटनाक्रम को सजीव देखना हो तो बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर में ये मनोरम दृश्य देखना दुर्लभ अनुभव होता है। यहां हर साल मंदिर को द्वापर युग का रूप दिया जाता है जहां कंस कारावास में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की घटना को लाइट एन्ड साउंड शो के माध्यम से दर्शाया जाता है।
इस भव्य आयोजन में दिखाया जाता है कि कैसे वासुदेव बालकृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना पार करके उन्हें बृजधाम तक पहुंचाते हैं। मंदिर के अंदर बने बृजधाम में जैसे ही भगवान कृष्ण पहुचंते हैं वैसे ही चारों तरफ आतिशबाजी और ढोल नगाड़ों की गूंज से माहौल कृष्णमय हो जाता है।
बालाजीपुरम मंदिर को द्वापर युग की सूरत देने के लिए कई हफ्तों तक तैयारी की जाती है । और जन्माष्टमी पर इस आयोजन को देखने न सिर्फ बैतूल बल्कि अन्य राज्यों और विदेश तक से श्रद्धालु आते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जो लोग वृंदावन या मथुरा नहीं जा पाते हैं उनके लिए बैतूल में होने वाला ये उत्सव अपने आप में अनूठा होता है। द्वापर युग, बृजधाम का दृश्य और माखन मिश्री का प्रसाद पाकर यहां हर कृष्णभक्त नंदलाल की भक्ति में डूब जाता है। जानकारी असीम पंडा स्वामी प्रधान पुजारी, बालाजीपुरम मंदिर ने दी।
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