Shubhanshu Shukla Return LIVE: भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय समयानुसार दोपहर तीन बजे धरती पर लौट आए हैं. धरती पर अपनी टीम के साथ वापस आने के बाद सुभांशु शुक्ला ड्रैगन कैप्सूल से बाहर आ चुके हैं। रेस्क्यू टीम ने उनका और उनके अन्य साथियो को बाहर निकाला। इस दौरान मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला, मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ, ड्रैगन अंतरिक्ष यान से बाहर निकले और 18 दिनों में पहली बार गुरुत्वाकर्षण का अनुभव किया. ड्रैगन यान से सभी चारों अंतरिक्ष यात्री बाहर आ गए हैं. सबसे पहले कमांडर पैगी व्हिटसन गन अंतरिक्ष यान से निकलीं और उसके बाद मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला बाहर निकले.

उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुए शुभांशु ने ISS पर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिसमें पौधों की वृद्धि और माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का अध्ययन शामिल था. बता दें कि, धरती पर लौटने के बाद अब शुभांशु शुक्ला और एक्स-4 टीम को 10 दिन तक आइसोलेशन में रहना होगा. उसके बाद ही उनका सामान्य जीवन शुरू होगा

Shubhanshu Shukla Return LIVE: शुभांशु शुक्ला की हुई धरती पर वापसी, प्रशांत महासागर में उतरा स्पेसक्राफ्ट, पढ़ें पल-दर-पल की अपडेट

Shubhanshu Shukla Return: शुभांशु शुक्ला की घर वापसी पर पीएम मोदी की आई पहली प्रतिक्रिया, बोले- ‘मिशन -गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर’

Axiom-4 टीम में कौन-कौन हैं?

  • इस मिशन के चार सदस्यीय दल में शामिल हैं.
  • पैगी व्हिटसन- मिशन कमांडर
  • शुभांशु शुक्ला- पायलट
  • स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की- मिशन विशेषज्ञ
  • टिबोर कापू – मिशन विशेषज्ञ

बता दें कि, चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने सोमवार शाम 4:35 बजे (IST) ISS से निकले थे. वे ड्रैगन कैप्सूल में सवार थे. अब 22.5 घंटे की यात्रा के बाद ड्रैगन कैप्सूल कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में ‘स्प्लैशडाउन’ किया गया.

इसरो ने 550 करोड़ रुपये खर्च कर भेजा था अंतरिक्ष

इस मिशन के लिए इसरो ने लगभग ₹550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह मिशन इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाना है। शुक्ला का यह अनुभव उस मिशन की तैयारी में बेहद उपयोगी साबित होगा।

धरती पर लौटने के बाद होगा रिहैब फेज

स्पेस से लौटने के बाद शुक्ला और उनकी टीम को सात दिनों तक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढलने के लिए पुनर्वास (रिहैबिलेशन) प्रक्रिया से गुजरना होगा। वजनहीन वातावरण में रहने के बाद शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में लाने के लिए यह जरूरी है। इस पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिकों की निगरानी में किया जाएगा।

अंतरिक्ष में भारत की नई पहचान

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की नई अंतरिक्ष पहचान का प्रतीक है। वे न केवल आईएसएस जाने वाले पहले भारतीय बने, बल्कि उन्होंने यह दिखा दिया कि भारत अब अंतरिक्ष अन्वेषण की अग्रणी दौड़ में शामिल हो चुका है। उनकी वापसी का हर भारतीय को बेसब्री से इंतजार है।

18 दिन अंतरिक्ष में सुभांशु ने क्या-क्या किया

  • 60 वैज्ञानिक प्रयोग: शुभांशु ने मिशन के दौरान 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी’ प्रयोग में भी हिस्सा लिया। अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी प्रयोग किए।
  • पृथ्वी की तस्वीरें: शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की शानदार तस्वीरें खींचीं, जो सात खिड़कियों वाला एक खास हिस्सा है।शुभांशु ने मिशन के दौरान 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी’ प्रयोग में भी हिस्सा लिया। अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी प्रयोग किए।