दिल्ली. अक्सर नेता अपनी सादगी का जमकर दिखावा करते हैं लेकिन राजनीति में कई नेता ऐसे हैं जो बेहद खामोशी से अपना काम करते हैं और लोग उनकी सादगी पर मर मिटते हैं. छत्तीसगढ़ के चीफ मिनिस्टर भूपेश बघेल बिना किसी तामझाम के आम आदमी की तरह जीते-सोचते और खाते पीते हैं. जिससे राज्य की अंतिम पंक्ति में खड़ा आदमी भी सीएम को अपने घर के सदस्य की तरह महसूस करता है.

दरअसल सीएम भूपेश बघेल को बलरामपुर जिले में कई योजनाओं का शिलान्यास करना था. इस दौरान उन्होंने जिला मुख्यालय में प्रवास भी किया. खास बात ये रही कि सामरी के विधायक चिन्तामणि महाराज ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया. जिसे बेहद सहजता से सीएम ने स्वीकार कर लिया.

सीएम ने विधायक के घर बेहद साधारण आदमी की तरह जमीन पर बैठकर बिना किसी दिखावे के बेहद सादगी के साथ छत्तीसगढ़ी व्यंजनों धुसका, पताल की चटनी और दूसरे देशी व्यंजनों का आनंद लिया.

जहां राजनीति में छुटभैय्या नेता तक तामझाम और लाव लश्कर के साथ खुद को वीआईपी साबित करने की होड़ में लगे रहते हैं वहां एक राज्य के सीएम का आम आदमी के मानिंद जीना न सिर्फ राजनीतिक बिरादरी को बहुत सारे संदेश देता है बल्कि भविष्य के नेताओं को सबक भी सिखाता है कि आम आदमी की बेहतरी को काम करने के लिए न सिर्फ आम आदमी जैसा सोचना, बोलना, उठना बैठना पड़ता है बल्कि आम आदमी के जीवन को आत्मसात भी करना पड़ता है. छत्तीसगढ़ के सीएम अपनी सादगी से कई बार ऐसा कर चुके हैं. इस बार फिर से चर्चा में है तो उनकी सादगी. लोग सीएम की सादगी पर चुटकी भी ले रहे हैं और कह रहे हैं कि सीएम साहब! एक ही दिल है कितनी बार जीतोगे.