पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। Singrauli Borewell Accident Update: मध्य प्रदेश के सिंगरौली में 100 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की सौम्या को बाहर निकाल लिया गया है। बच्ची की हालत गंभीर है। जिसके बाद उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया है जहां उसका इलाज किया जाएगा। अंदाजा लगाया जा रहा था कि बच्ची तक पहुंचने में करीब 2 घंटे लगेंगे। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद जल्द ही बच्ची को रेस्क्यू कर लिया गया है।

इससे पहले रेस्क्यू टीम ने जेसीबी की मदद से खुदाई की थी। सुरंग बनाकर बच्ची तक पहुंचा गया। बच्ची 12 फीट में फंसी हुई थी। इसलिए मशीन की जगह अब फावड़ा और सब्बल की मदद से रास्ता बनाया गया।   

3 साल की मासूम सौम्या को बचाने के लिए SDRF लगातार जिला प्रशासन की निगरानी में काम किया। वहीं घटना की जानकारी मिलते ही जिले के दो विधायक भी घटनास्थल पर मौजूद थे। बता दें कि आज बच्ची का जन्मदिन भी है। इसी दिन उसके साथ यह बड़ा हादसा हो गया।

बता दें कि बरगवां क्षेत्र के कसर गांव में 3 साल की सौम्या अपने पिता के साथ खेत गई हुई थी। इस दौरान वह खेलते हुए खुले बोरवेल में गिर गई। पिता ने जैसे ही यह दृश्य देखा उसके होश उड़ गए। उसने चीख पुकार मचा दी। जिसके बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई। एसपी, कलेक्टर समेत सभी अफसर मौके पर पहुंच गए और बच्ची को बचाने में जुट गए। 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कड़ी कार्रवाई के दिए थे निर्देश, फिर भी नहीं हुआ असर

 बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुले बोरवेल को बंद कराने के सख्त निर्देश दिए थे। खुला नलकूप या बोरवेल छोड़ने से उनमें बच्चों के गिरने की घटनाओं की रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत किया था। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि शिकायत मिलने या फिर संज्ञान में आने पर तत्काल बोरवेल बंद कराया जाएगा। इसे बंद करने की जिम्मेदारी भू-स्वामी या खनन करने वाले की होगी।

25 हजार रुपए तक लगेगा जुर्माना

यदि वह नोटिस दिए जाने के बाद भी उसे बंद नहीं करता है तो फिर पहली बार में 19 हजार और उसके बाद-25-25 हजार रुपये अर्थदंड लगाया जाएगा और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मनिका गांव में हुआ था बड़ा हादसा

कुछ समय पहले ही में रीवा जिले के मनिका गांव में 6 साल का मयंक आदिवासी खेलते हुए गेहूं के खेत में बने बोरवेल में गिर गया था। जिला प्रशासन और NDRF की टीम ने मामले की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। 45 घंटे के अथक प्रयास के बाद NDRF की टीम बच्चे तक पहुंची और उसे निकाल कर फौरन अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में कई अफसरों को निलंबित भी किया गया था। 

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