सुरेश पांडेय, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में लगभग 248.27 करोड़ की लागत से बना नया सरकारी मेडिकल कॉलेज भले ही बनकर तैयार हो गया हो और अगस्त 2025 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा द्वारा इसका भव्य उद्घाटन भी किया जा चुका हो। लेकिन हकीकत में यहां पढ़ाई अब तक शुरू नहीं हो पाई है। 25 एकड़ भूमि में तैयार की गई इस अत्याधुनिक बिल्डिंग में सेकंड काउंसलिंग के जरिए करीब 100 छात्रों ने एडमिशन लिया है, मगर इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी के कारण एक भी क्लास नहीं लग पाई। कॉलेज में न तो छात्रों और शिक्षकों के लिए कुर्सी-टेबल हैं, न लाइब्रेरी, न ही प्रैक्टिकल के उपकरण मौजूद हैं।
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छात्रों का कहना है कि उन्होंने फाउंडेशन कोर्स ऑनलाइन तो पूरा कर लिया, लेकिन अब जब ऑफलाइन लेक्चर की बारी आई, तो बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। छात्रों ने बताया कि वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। “हम डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहते थे, लेकिन जब क्लास ही नहीं होगी और प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं मिलेगा तो इलाज कैसे करेंगे? छात्रों का यही सवाल अब शासन-प्रशासन से है।
इस पूरे मामले पर जब सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और विधायक रामनिवास शाह से सवाल किया गया तो दोनों ने कहा कि कॉलेज में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन जब ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति देखी गई तो सच्चाई बिल्कुल उलट निकली। खाली क्लासरूम और अधूरी लैब्स इस करोड़ों के प्रोजेक्ट की असल तस्वीर दिखा रहे हैं।
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अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार ने सिर्फ बिल्डिंग खड़ी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ ली? मेडिकल कॉलेज के छात्र सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द कुर्सी-टेबल, उपकरण और शिक्षक उपलब्ध कराए जाएं, ताकि भविष्य के भगवान” कहे जाने वाले ये डॉक्टर अपना सफर सही मायने में शुरू कर सकें।
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