सुरेश पाण्डेय, सिंगरौली। आज हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से उठी उस मासूम लेकिन मजबूत आवाज की, जिसने अपनी कला के जरिए पूरे जिले की पीड़ा को देश के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाने की कोशिश की है। यह आवाज है नन्हीं गायिका रूबी तिवारी की, जिसने अपने पिता के अधूरे सपनों को साकार करने के साथ-साथ समाज के ज्वलंत मुद्दों पर भी सवाल उठाए हैं।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से लगाई न्याय की गुहार

सिंगरौली जिले में लगातार सामने आ रहे गंभीर मुद्दों, जंगलों की अंधाधुंध कटाई, देश के सबसे बड़े विस्थापन की त्रासदी, आदिवासी परिवारों की ज़मीन और बढ़ते खनन से प्रदूषित होता पर्यावरण-इन सभी चिंताजनक हालातों को लेकर नन्हीं गायिका रूबी तिवारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से न्याय की अपील की है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सिंगरौली के जनप्रतिनिधि इस मासूम आवाज को सदन तक पहुंचाएंगे या फिर हमेशा की तरह मूकदर्शक बनकर सिर्फ बेंच थपथपाने तक सीमित रहेंगे।

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पिता के अधूरे सपनों से जन्मी सुरों की साधना

रूबी तिवारी का पालन-पोषण एक संस्कारवान और शिक्षित परिवार में हुआ। माता एक गृहिणी हैं और पिता एक वरिष्ठ पत्रकार व लेखन में दक्ष व्यक्ति हैं। गायन की प्रबल इच्छा पिता की थी, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वे अपने सुरों को उड़ान नहीं दे पाए। समय बीता और घर में एक बेटी ने जन्म लिया, जिसका नाम रखा गया रूबी।

स्कूली शिक्षा के दौरान ही पिता ने बेटी में गायन की प्रतिभा को पहचान लिया। सीमित संसाधनों के बावजूद, पिता ने खुद ही उसे संगीत की बुनियादी शिक्षा देना शुरू किया। यहीं से रूबी के सुरों को पंख मिले और वह मां सरस्वती की साधना में रमती चली गई। आज वही नन्हीं रूबी न सिर्फ अपने पिता के सपनों को साकार कर रही है, बल्कि सिंगरौली की पीड़ा की आवाज बनकर देश के सर्वोच्च मंच तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।

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