शब्बीर अहमद, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। तीन आईपीएस अधिकारी मंत्री विजय मामले की जांच करेंगे। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर दिए हैं।
सोमवार (19 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह का माफी नामा खारिज कर दिया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को इस मामले में जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी का गठन मंगलवार सुबह 10 बजे तक हर हाल में हो जाना चाहिए।
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IG रैंक के अधिकारी को SIT चीफ बनाने का दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीनों आईपीएस मध्य प्रदेश के बाहर के यानी दूसरे राज्य के होने चाहिए, जिसमें एक महिला आईपीएस को भी शामिल करना होगा। कोर्ट ने कहा था कि एसआईटी की मॉनिटरिंग आईजीपी को करना होगा। साथ ही एसआईटी के दोनों सदस्य भी एसपी या उससे ऊपर के रैंक के होने चाहिए।
SC के आदेश के बाद SIT गठित
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर MP CID ने SIT का गठन कर दिया है। सागर आईजी प्रमोद शर्मा, PHQ SAF डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और डिंडोरी एसपी वहिनी सिंह इस पूरे मामले की जांच करेंगी।

ये है पूरा मामला
दरअसल, मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने 12 मई को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘पाकिस्तानियों ने हमारे देश के लोगों के कपड़े उतारे, लेकिन हमने उनकी समाज की बहन (कर्नल सोफिया कुरैशी) को भेजकर उनकी ऐसी तैसी करवा दी।’ विजय शाह ने आगे कहा था कि ‘आतंकियों ने कहा था मोदी को बताना कि उन्होंने हमारे हिंदुओं को मारा और उनके कपड़े उतारे। इसलिए मोदी जी ने उनकी बहन को हमारी सेना के जहाज में भेजा, ताकि वह उन्हें सबक सिखा सके।’ इस दौरान मंच पर बीजेपी विधायक उषा ठाकुर, झाबुआ के सामाजिक कार्यकर्ता राजाराम कटारा समेत कई लोग मौजूद थे।
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हाईकोर्ट ने दिए थे FIR के निर्देश
मंत्री के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई। कांग्रेस पार्टी ने चौतरफा हमला बोलते हुए इस्तीफे की मांग की। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए FIR के निर्देश दिए। जबलपुर HC के जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
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HC के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंदौर के महू के मानपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। विजय शाह के खिलाफ यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की तीन गंभीर धाराओं – धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत दर्ज की गई। मंत्री विजय शाह ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी। सोमवार 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंत्री का माफी नामा खारिज कर दिया। साथ ही SC ने मध्यप्रदेश के डीजीपी को इस मामले में जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए थे।
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