इंफाल। जातीय हिंसा की आग से सुलग रहे मणिपुर में महिलाओं की आक्रामण भीड़ के दबाव में सुरक्षा बल को 12 उग्रवादियों को छोड़ना पड़ा. छोड़े गए उग्रवादियों में 2015 के डोगरा घात हमले का मास्टरमाइंड स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था. हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे.

सेना के प्रवक्ता ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि (शनिवार) दोपहर लगभग 2.30 बजे विशिष्ट खुफिया सूचनाओं पर कार्रवाई करते हुए इम्फाल पूर्व के इथम गांव में सुरक्षा बलों ने एक ऑपरेशन शुरू किया था. कार्रवाई की जानकारी मिलते ही महिलाओं और स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में करीब 1,200 से 1,500 की भीड़ ने तुरंत ऑपरेशन वाले इलाके को घेर लिया और सुरक्षा बलों के ऑपरेशन को आगे बढ़ने से रोक दिया.

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं की आक्रामक भीड़ से बार-बार अपील की गई कि सुरक्षा बलों को कानून के मुताबिक ऑपरेशन जारी रखने दें, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. आखिरकार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए 12 KYKL उग्रवादियों को उन्हें वापस सौंप दिया गया. हालाँकि, सुरक्षा बलों ने बरामद विस्फोटकों और अन्य हथियारों को जब्त कर लिया.

बता दें कि 3 मई से मेइती और कुकी समुदायों के बीच फैली जातीय हिंसा में अबतक 115 लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के एक अदालती फैसले के बाद पहली बार दोनों समुदायों के बीच 3 मई को झड़प हुई थी. इसके बाद जातीय हिंसा ने तुरंत राज्य को अपनी चपेट में ले लिया और देखते ही देखते सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया गया. इस हिंसा से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, और भागकर पड़ोसी राज्यों में शरण लिए हुए हैं.