पुरी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद आखिरकार शनिवार को श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने कानून विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें श्रीमंदिर में सुधारों के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई है.

60,000 तीर्थयात्रियों के लिए बनाया जाएगा भवन

एसजेटीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि श्रीमंदिर के प्रशासनिक कार्यों के लिए एक स्थायी मुख्य प्रशासक नियुक्त करने के साथ जगन्नाथ संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए सेवकों के बच्चों के लिए एक स्कूल और एक गुरुकुल की स्थापना की गई है. इसके अलावा एक निश्चित समय में 60,000 तीर्थयात्रियों को ठहराने के लिए एक भवन बनाने की योजना पर काम चल रहा है.

श्रीमंदिर के आय-व्यय पर कोई ऑडिट नहीं

दूसरी ओर, रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर के आय-व्यय का अब तक कोई ऑडिट नहीं हो रहा है. राज्य और राज्य के बाहर श्रीमंदिर की संपत्तियों की सूची भी तैयार नहीं की गयी है. अब तक आनंद बाजार में “अबढ़ा महाप्रसाद’ का कोई रेट चार्ट तैयार नहीं किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी तरह, “महाप्रसाद’ की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया है.

बेलगाम सेवादारों पर कार्रवाई नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक, सेवादारों की आसान पहचान के लिए आईडी कार्ड उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. इसी तरह त्रिमूर्तियों की पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों में देरी के लिए जिम्मेदार बेलगाम सेवादारों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. पीढ़ियों से चली आ रही सेवकों की सेवा को समाप्त नहीं किया गया है और न ही दान राशि का संग्रह बंद किया गया है.

शंकराचार्य का सम्मान नहीं

इसके अलावा देवताओं के अनुष्ठानों के संबंध में भी जगतगुरु शंकराचार्य से सुझाव नहीं लिए जा रहे हैं. भक्तों को देवताओं के स्वतंत्र और निष्पक्ष दर्शन सुनिश्चित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. देवताओं की चल और अचल संपत्ति का कोई आकलन नहीं किया गया है. रत्न भंडार में रखे आभूषणों की आखिरी सूची 1978 में बनाई गई थी और उसके बाद से कोई सूची नहीं बनाई गई है.

शंकराचार्य ने कहा मुझे हस्तक्षेप नहीं करना

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस पर कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में सरकार से कोई भी निर्णय लेने से पहले शंकराचार्य से परामर्श करने को कहा था, लेकिन यहां की सरकार को न शंकराचार्य चाहिए, न समितियां, न सेवक. तो मुझे हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए. ”

चार साल बाद सौंपी गई रिपोर्ट

गौरतलब है कि वकील मृणालिनी पाढ़ी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसजेटीए को 2019 में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. निर्देश के आधार पर कानून विभाग ने एसजेटीए को अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था. इस संबंध में एसजेटीए या सेवकों से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी.