मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली बार त्वचा दान या स्किन डोनेशन का मामला सामने आया है. गुना निवासी गिरिराज बक्षी की सड़क हादसे में मौत के बाद परिजनों ने उनकी त्वचा डोनेट करने का निर्णय लिया. भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पहली बार स्किन डोनेशन की गई. हमीदिया अस्पताल में 17 फरवरी को गुना निवासी गिरिराज बक्षी की मौत हो गई थी. इसके बाद उनके परिजनों ने उनकी त्वचा के साथ नेत्रदान करने का निर्णय लिया. डोनेट की गई त्वचा का इस्तेमाल जले हुए या हादसे में घायल मरीजों के लिए किया जाएगा.

स्क्रीन डोनेशन का भी नियम है. आप शरीर के हर हिस्से की त्वचा को डोनेट नहीं कर सकते. नियम के अनुसार त्वचा केवल पीठ, जांघों और पैरों से ली जाती है. किसी व्यक्ति की मृत्यु के 6 घंटे के भीतर त्वचा का दान करने का नियम बनाया गया है. नेत्रदान की तरह मृत्यु की स्थिति में स्किन बैंक के लोग मृतक के घर पहुंच जाते हैं. स्किन को काटने का काम टीम द्वारा किया जाता है. इसके बाद एक्सपोर्ट्स द्वारा मृत्यु के कारण की जांच की जाती है. स्क्रीन कटिंग के समय मृतक के शरीर से ब्लड सैंपल भी लिया जाता है. और एचआईवी, वायरस मार्कर और हेपेटाइटिस के लिए टेस्ट स्क्रीन बैंक में किया जाता है.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
Read More:- https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H