रिपोर्ट-हरिओम श्रीवास. खुशियों को आपने मुस्कुराहटों से बयान होते तो देखा होगा लेकिन अगर खुशियों को आंखों से झलकते देखना हो तो मस्तूरी के पोड़ी चले जाईये. यहां की ग्राम पंचायतों के लोगों की आंखें बिना कहे ही खुशी बयां कर रही है. ये खुशी मोबाइल पाने की है. संचार क्रांति योजना के तहत लाखों महिलाओं को मोबाईल मिल रहा है. युवाओं, बुजुर्ग को भी भी मोबाइल दिया गया है. जो कभी मोबाईल नही ले सकते. इस आज भी ऐसे परिवार हैं जो अपने परिवार- रिश्तेदारों से बात नही कर पाते थे लेकिन संचार क्रांति के तहत मोबाइल वितरण से हितग्राहियो को लाभ मिल रहा है.   

संचार क्रांति योजना के अन्तर्गत इन दिनों मोबाइल वितरण ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जा रहा है. शासन और प्रशासन के लोग हितग्राहियों से मिलकर, उनसे चर्चा करके उनको मोबाइल चलाना सिखा रहे हैं. मोबाइल लोगों की ज़िंदगी तेज़ी से बदल रही है. पोड़ी में रहने वाली लक्ष्मी साहू के दो बेटे और एक बेटी है. बेटी ससुराल चली गई. 1 एकड़ खेती की जमीन है. महिला की पति शमेलाल साहू बाजार में कपड़े का फेरी लगाता हैं. लक्ष्मी साहू का कहना है कि उनके बेटे या पति मोबाइल रखते हैं. लेकिन जब वे काम पर निकल जाते तो किसी से बात नहीं हो पाती. ऐसे में रमन सरकार का दिया ये मोबाइल साथ दे रहा है. बिटियाओं से बात हो जाती है.

ऐसी ही एक दूसरी महिला है. गायत्री साहू. गांव के ही आंगन बाड़ी केंद्र में रसोईया की काम करती हैं. उनके पति एक निजी स्कूल में भृत्य का काम करते हैं.  इनके परिवार में 6 सदस्य हैं. संचार क्रांति के फोन पाकर ये सब खुश हैं. गायत्री का कहना है कि ये सब उनके लिए बड़ी बात है. वे लोग स्मार्टफोन का सपना देख रहे थे और हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नही होने महंगा मोबाईल नही खरीद सकते थे. लेकिन सरकार की इस योजना से उनकी ख्वाहिशें पूरी हो गईं. परिवार का हर कोई अपने ज़रुरत का काम स्मार्टफोन से कर रहा है.

गाव के सरपंच राजकुमार कुम्हकार का कहना है कि मोबाईल ऐसे क्षेत्र की ज़रुरत है. गांव आदिवासी क्षेत्र का है.  सरकार द्वारा दिए जा रहे मोबाइल से कई योजनाओं की जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है. जो दूर-दराज में रहने की वजह से इससे महरुम रह जाते थे. अब पंचायत के लोग भी सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत कर रहे हैं.  जो कभी मोबाईल नही की सोच नहीं सकते थे. रिश्तेदारों से केवल मिलने जाते थे. वे अब फोन के जरिए उनसे बात भी कर रहे हैं.

मस्तूरी के जयरामनगर में भागवती बाई  गॉव के स्कूल में रसोइया का काम कर अपने परिवार में बेटे और बहू के साथ रहती है. इनका कहना है कि मोबाईल मिलने से बहुत ही अच्छा लग रहा है. पहले उनके बेटे के पास छोटा मोबाईल था. बेटी से बात नही हो पाती थी. क्योंकि बेटा रोजी-मजदूरी करने चला जाता है. अब ये मोबाइल मिला है तो भागवती बाई बेटी समेत परिवार के दूसरे सदस्यों से बात कर पा रही है. भागवती का कहना है कि उनका दूसरा बेटा बाहर रहता है. दूसरा बेटा बाहर मजदूरी करता है. लेकिन मोबाइल के आने से शासन की कई योजनाओं की जानकारी मिल रही है. पहले लगता था कि एक एकड़ खेत काफी कम है. उससे गुज़ारा नहीं चल सकता. लेकिन मोबाइल से खेती के नए तौर-तरीकों और सरकार की योजनाओं के बारे में जब इस मोबाइल से जानकारी मिल रही है तो लगता है कि एक एकड़ खेत में काफी कुछ किया जा सकता है. जो बेटा बाहर रहता है वो अब यहीं आकर काम करने की सोच रहा है. मोबाइल ने न सिर्फ संचार का संचार किया है बल्कि नज़रिया भी बदला है.

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