पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। बरसात में सीमेंट खराब न हो जाये इसलिए इंजीनियर के निर्देश को दरकिनार कर ठेकेदार ने अप्रोच स्लैब ढाल दिया. नतीजा स्लैब पहली बरसात ही नहीं चला और टूट गया. अब ठेकेदार के मनमानी और अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं.

कूम्हडई कला मानकीगुड़ा सड़क को क्रॉस करने वाले साखा नहर पर तीन माह पहले पुलिया का निर्माण किया गया था. बरसात शुरू होने से पहले ठेकेदार ने पुल पर 3 मीटर चौड़ा व 7 मीटर लंबे एप्रोच स्लैब की ढलाई किया था. शुक्रवार को हुई जोरदार बारिश से एप्रोच स्लैब दो टुकड़े में बंट गया. स्लैब के टूटने से आवाजाही में दिक्कतें हो रही है. चारपहिया को मुश्किल से पार किया जा रहा है.

फिर से निर्माण करेगा ठेकेदार

मामले में साइड इंजीनियर पीआर अहिरवार ने बताया कि पुल के ऊपर डाला गया मिट्टी मुरम ठीक से दबा नहीं था.  बरसात में मिट्टी मुरम दबा तो स्लैब का निचले हिस्से में गेप बन गया. इस मार्ग से बड़ी व भारी वाहन भी गुजरते हैं, जिनके दबाव से स्लैब टूट गया. ठेकेदार ने साइट में रखे सीमेंट खराब होने की बात कह कर अपनी मर्जी से ढलाई किया था. ठेकेदार को बरसात के बाद इसे फिर से बनाने के लिए कहा गया है.

अफसरोंं पर हावी ठेकेदार

टूटे स्लैब से स्पष्ट हो गया कि सिंचाई विभाग के निर्माण कार्यों में स्थानीय अफसरों की नहीं बल्कि ठेकेदारों की चलती है. इंजीनियर की बात अगर सही है तो निगरानी में लगे अफसरों के दायित्वों पर सवाल खड़ा होता है. अनुबंधित ठेकेदार साइट इंचार्ज के सलाह बगैर एक इंच का भी निर्माण नहीं कर सकता, जबकि इस ढलाई के लिए एसडीओ ने भी मना किया था. टूटे स्लैब ने ईई पीके आंनद के उन दावों को भी पोल खोल दिया, जिसमें उन्होंने हर साइट में गुणवत्ता युक्त काम का दावा किया था.