रायपुर. प्रदेश में पहली बार दुर्लभ समुद्री पक्षी स्लेंडर-बिल्ड गॉल (Slender Billed Gull) की उपस्थिति दर्ज की गई है. यह खोज छत्तीसगढ़ के पक्षी अवलोकनकर्ताओं के लिए उत्साहजनक उपलब्धि है. इस महत्वपूर्ण अध्ययन को जर्नल ऑफ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के नवीन अंक (सितंबर-दिसंबर 2025) में प्रकाशित किया गया है.

इस पक्षी की पहचान और फोटोग्राफिक दस्तावेजीकरण में बिलासपुर के युवा इंजीनियर राहुल गुप्ता और रत्नेश गुप्ता का प्रमुख योगदान रहा. इनके सहयोगी प्रतिक ठाकुर ने शोधपत्र की संरचना, वैज्ञानिक विश्लेषण और प्रकाशन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया. यह अवलोकन 29 अक्टूबर 2025 को बिलासपुर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित एनटीपीसी सीपत थर्मल पावर प्लांट के राख डंपिंग क्षेत्र में किया गया था. यही क्षेत्र हर वर्ष बड़ी संख्या में जलपक्षियों और प्रवासी प्रजातियों के लिए आश्रय स्थल बनता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्लेंडर-बिल्ड गॉल मुख्य रूप से पश्चिमी एशिया और भारत के तटीय इलाकों में पाई जाती है, किंतु मध्य भारत के आंतरिक भागों में इसका दिखना अत्यंत दुर्लभ माना जाता है. यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के जलाशयों की जैवविविधता और पारिस्थितिक महत्व को रेखांकित करती है. (Slender Billed Gull Bird in chhattisgarh)

पंखों, पतली चोंच और पीले पैरों से हुई पहचान (Slender Billed Gull Bird in chhattisgarh)

टीम के अनुसार, इस पक्षी की पहचान उसके हल्के धूसर-भूरे ऊपरी पंखों, पतली चोंच और पीले पैरों के आधार पर की गई. यह खोज प्रदेश के पक्षी-अध्ययन में एक नया अध्याय जोड़ती है. प्रतिक ठाकुर, राहुल गुप्ता और रत्नेश गुप्ता ने संयुक्त रूप से बताया कि इस अध्ययन से छत्तीसगढ़ के प्रवासी पक्षियों की वैज्ञानिक समझ को नया आयाम मिलेगा और भविष्य में अधिक व्यवस्थित सर्वेक्षणों की आवश्यकता पर बल मिलता है.