शिवम मिश्रा, रायपुर. छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोजाना हजारों गाड़िया दौड़ती है. इन गाड़ियों को टोल नाके से गुजरकर रोजाना टोल टैक्स चुकाना पड़ता है. इन टोल नाकों से मालवाहक के साथ-साथ आम आदमियों की गाड़ियां भी निकलती है, लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि क्या प्रदेश में टोल का बड़ा झोल चल रहा है और लाखों की अवैध वसूली चल रही है? आम आदमी के जेब में डाका डाला जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को या तो इस खेल की जानकारी नहीं है या फिर उनके संरक्षण में सब कुछ चल रहा है. टोल नाके पर टोल टैक्स के नाम पर अवैध वसूली का आरोप लगाया जा रहा है.

दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क प्राधिकरण ने टोल प्लाजा के लिए कुछ नियम तैयार किए हैं. ये नियम कहता है कि राजमार्ग की सड़कों पर एक टोल से दूसरे टोल की दूरी 60 किलोमीटर की होनी चाहिए. इस बीच एक भी टोल नाका वैध नहीं होता है, लेकिन मंदिरहसौद से कुम्हारी के रास्ते पर 2 टोल नाका पड़ता है. इन दोनों टोल नाकों की दूरी नापने पर महज 28 किलोमीटर दिखती है. मंदिर हसौद का टोल नाका रायपुर जिले में पड़ता है तो वहीं कुम्हारी नाका दुर्ग जिले में आ जाता है.

बता दें लल्लूराम डॉट काम ने टोल नाकों की पड़ताल की, जिसमें कई चैकाने वाले खुलासे हुए. मंदिरहसौद से कुम्हारी टोल नाका राष्ट्रीय राजमार्ग मुंबई हावड़ा को जोड़ता है, जिसमें आम आदमी से लेकर कमर्शियल गाड़ियों की आवाजाही लगी होती है. आम यात्रियों को 28 किलोमीटर की दूरी पर 2 बार टोल टैक्स चुकाना पड़ता है, जिसे नियमतः गलत माना जाता है या फिर प्रदेश में पूरी तरह अवैध वसूली का खेल चल रहा है. क्या इन टोल नाकों पर ऐसा खेल चल रहा है. किसी भी जिम्मेदार को इसकी जानकारी नहीं होगी ? या फिर आम आदमी के जेब पर डाका डाला जा रहा है?

नाम बदलकर कट रही पर्ची

इस लाखों की हेराफेरी में एक और बड़ा खेल है. आम यात्रियों की जेब पर डाका डालने के लिए कई बार मंदिर हसौद टोल नाके का नाम बदल दिया जाता है. मंदिर हसौद से गुजरने वाले यात्रियों को लाखोली टोल नाके की पर्ची पकड़ाई जाती है, जिसे कुछ साल पहले ही बंद कराया जा चुका है, लेकिन फिर भी फास्टैग से पैसे कटने पर लाखोली टोल नाके का नाम कैसे आता है ? इसका जिम्मेदार कौन है?

आम यात्रियों ने कहा – टोल नाके पर नियमों का हो रहा उल्लंघन

इस संबंध पर लल्लूरा डाॅट काम की टीम ने रोजाना गुजरने वाले यात्रियों से बातचीत की. डॉ. बिपलब बंधोपाध्याय ने कहा कि वो रोजाना मंदिर हसौद टोल से गुजरते हैं, जहां रोज उन्हें 60 रुपए की राशि चुकानी पड़ती है, लेकिन नियमानुसार टोल नाके संचालित नहीं किए जाते हैं. मंदिर हसौद पर विनय सोलंकी ने लल्लूराम से बातचीत में कहा कि उन्हें रोज दुर्ग से आरंग जाना होता है, जिसके एवज में कुम्हारी और मंदिर हसौद टोल नाके पर टोल टैक्स देना पड़ता है.

जवाब देने से बचते रहे अधिकारी

इस संबंध में हमने नेशनल हाईवे प्राधिकरण के अधिकारियों को लगातार कॉल कर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी पहले तो फोन नहीं उठाए. जवाब देने से बचते रहे. क्या इस अवैध वसूली को देखने खुद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को आना पड़ेगा ? क्या उन्हें खुद टोल नाके से गुजरकर सड़क की दूरी नापनी पड़ेगी या फिर जिम्मेदार अधिकारी खुद पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करेंगे, ये आने वाले समय पर पता चलेगा.