फीचर स्टोरी। देश ही क्या पूरे विश्व में अभी सबसे बड़ी विपदा है कोरोना. कोरोना वायरस के चलते कई देशों में लॉकडाउन है. भारत में भी बीते 25 मार्च से लॉकडाउन का सिलसिला चला रहा है. लॉकडाउन के चलते सरकारी हो या निजी हर तरह की आर्थिक-सामाजिक गतिविधियाँ पूरी तरह से प्रभावित है. व्यापारिक लेन-देन ठप है. यह पूरी तरह से संकट की घड़ी है. लेकिन इसी संकट के बीच छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने वन संपदा के संग्रहण, खरीदी-बिक्री को तमाम सुरक्षा मानकों के बीच जारी रखने का फैसला किया. आदिवासियों की जीविका सबसे बड़ा आधार लघु वनोपज के मद्देनज़र सरकार ने इस मामले में अपनी नीति-नीयत को बेहद साफ रखा है. लॉकडाउन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए तय किया कि आदिवासियों की पूँजी को बेकार जाने नहीं दिया जाएगा. लघु वनोपज से आदिवासियों को सालाना होने वाली आय पर किसी तरह के संकट का प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा. नतीजा ये कि छत्तीसगढ़ ने लघु वनोपज की 90 प्रतिशत से अधिक की खरीदी कर पूरे देश में नंबर वन होने का गौरव हासिल कर एक रिकॉर्ड बना लिया.

आइये आँकड़ों के साथ सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि किस तरह से प्रदेश में जारी लघु वनोपज की खरीदी

इस वर्ष 23 की जगह 25 लघु वनोपज की खरीदी

भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 25 लघु वनोपजों की खरीदी करने के संबंध में अहम निर्णय लिया गया. यह एक बेहद ही महत्वपूर्ण निर्णय है. ऐसा पहली बार छत्तीसगढ़ में हुआ है जब 25 प्रकार के लघु वनोपज की खरीदी की जा रही है. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि राज्य में पहले वर्ष 2018 तक मात्र 7 लघु वनोपजों की समर्थन पर खरीदी की व्यवस्था होती थी. नई सरकार द्वारा वनवासियों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध करानेे के लिए समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या को बढ़ाकर 23 की गई, जिसे अब बढ़ाकर 25 तक कर दी गई है. इससे वनांचल में रहने वाले लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है. वहीं उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है.

गिलोय और भोलवा वनोपज को किया गया शामिल

वन मंत्री अकबर ने बताया इस वर्ष जिन दो नए वनोपज को शामिल किया गया है वो गिलोय तथा भेलवा है. इसके पहले 23 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा), जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित) की खरीदी की जा रही थी. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा कुसुमी लाख, रंगीनी लाख और कुल्लू गोंद की खरीदी में समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है.

छत्तीसगढ़ देश में समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला पहला राज्य

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक मूल्य की लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला राज्य बन गया है.  लघु वनोपजों की पुनरीक्षित दरें एक मई 2020 से प्रभावशील हो गई है इसके तहत पुनरीक्षित दरें ईमली. बीज सहित 31 रूपए से बढ़ाकर 36 रूपए, महुआ बीज 25 रूपए से बढ़ाकर 29 रूपए, काल मेघ 33 रूपए से बढ़ाकर 35 रूपए, नागरमोथा 27 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए तथा बेल गुदा 27 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है। इसी तरह शहद 195 रूपए से बढ़ाकर 225 रूपए, फूल झाडू 30 रूपए से बढ़ाकर 50 रूपए, महुआ फूल (सूखा) 17 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए, जामुन बीज (सूखा) 36 रूपए से बढ़ाकर 42 रूपए, कौंच बीज 18 रूपए से 21 रूपए, धवई फूल (सूखा) 32 रूपए से बढ़ाकर 37 रूपए तथा करंज बीज 19 रूपए से बढ़ाकर 22 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है.

इसी तरह से बायबड़िग 81 रूपए से बढ़ाकर 94 रूपए, आंवला (बीज रहित) 45 रूपए से बढ़ाकर 52 रूपए, फूल ईमली (बीज रहित) 54 रूपए से बढ़ाकर 63 रूपए, साल बीज 20 रूपए से 20 रूपए, चिरौंजी गुठली 109 रूपए से बढ़ाकर 126 रूपए, हर्रा 15 रूपए से 15 रूपए, बहेड़ा 17 रूपए से 17 रूपए और पुवाड़ (चरौटा बीज) 14 रूपए से बढ़ाकर 16 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. इनमें गिलोय 21 रूपए से बढ़ाकर 40 रूपए, भेलवा 8 रूपए से बढ़ाकर 9 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. इसके अलावा कुसुमी लाख 203 रूपए से बढ़ाकर 275 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 25 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 300 रूपए प्रति किलोग्राम की दर निर्धारित है. इसी तरह रंगीनी लाख 130 रूपए से बढ़ाकर 200 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 20 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 220 रूपए निर्धारित की गई है. इसके अलावा कुल्लू गोंद 98 रूपए से बढ़ाकर 114 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 11 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 125 रूपए निर्धारित की गई है.


लघु वनोपज की रिकॉर्ड खरीदी कर छत्तीसगढ़ बना देश में नंबर वन राज्य 

“द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया” (ट्राईफेड) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अब तक 30 करोड़ 63 लाख 61 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, इसमें से अकेले छत्तीसगढ़ में 28 करोड़ रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है. इसमें देश के अन्य सभी राज्यों द्वारा अब तक मात्र 1 करोड़ 93 लाख रूपए की राशि के लघु वनोपजों की खरीदी हुई है. छत्तीसगढ़ के अलावा केवल दो राज्यों झारखण्ड और ओडिशा में लघु वनोपज की खरीदी का काम प्रारंभ हुआ है. इन आँकड़ों के हिसाब देश में अब तक कुल खरीदी में छत्तीसगढ़ ने 99 प्रतिशत तक की खरीदी की है.

खरीदी का लगातार बढ़ रहा आँकड़ा 

दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आदिवासियों हितों के मद्देनज़र विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. खास तौर पर भूपेश सरकार आदिवासियों के जीवन के लिए सबसे जरूरी लघु वनोपज को बढ़ावा देने, ज्यादा से ज्यादा खरीदी करने, अधिक कीमत देने की दिशा में प्रयासरत् हैं. यही वजह है कि प्रदेश में लघु वनोपजों का यह आंकड़ा लगतार बढ़ रहा है. ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू सीजन के दौरान छत्तीसगढ़ में अब तक 1 लाख 66 हजार संग्रहकों से लगभग 28 करोड़ रूपए मूल्य की 9 हजार 563 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया जा चुका है. गौरतलब है कि रमन सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक मात्र सात वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी.

फिजिकल डिस्टेंस के साथ संग्रहण और खरीदी कार्य

कोरोना संकट के बीच में जारी तेंदूपत्ता संग्रण और खरीदी कार्य के दौरान पूरी सुरक्षा और सावधानी बरती जा रही है. सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है. मास्क लगाने से लेकर फिजिकल डिस्टेंस बनाकर तेंदूपत्ता संग्रहण करने का कार्य आदिवासी कर रहे हैं. वहीं वन विभाग की ओर से भी खरीदी के दौरान विशेष सावधानी बरती जा रही है.