रायपुर. सामाजिक संस्था ‘आशाएं’ के प्रयास पर एक शेर याद आती है. ‘असलियत तो होती थी, बचपन की हँसी में. अब मिलावट ही मिलावट है पूरी जिंदगी में.’ बच्चों के होठों पर मुस्कान लाने आशाएं के प्रयास पर यह शेर सटीक नजर आता है. वैसे भी अगर जिंदगी का सबसे खूबसूरत पड़ाव कोई है तो वो है बचपन. कुदरत की सबसे खूबसूरत रचना अगर कुछ है तो वो है बच्चे. वैसे तो बचपन हर गम से बेगाना होता है लेकिन कई बार आर्थिक तंगी या कुदरती बनावट इन बच्चों की मुस्कान को फीका कर देती है.

उनकी खुशियों को कम कर देती है. बस बच्चों की इसी खुशी को वापस लाने के लिये,उनकी मुस्कान में चमक लाने के लिये, राजधानी रायपुर में एक संस्था काम कर रही है,जिसका नाम है आशाएं. अपने नाम की तरह ही ये संस्था बच्चों की जिंदगी में आशाएं ला रही है. हर साल की तरह इस साल भी इस संस्था ने एक वार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया था,जिसे ‘आहान’ नाम दिया गया था. जिसमें एक हजार बच्चों को शामिल किया गया था. ये सभी बच्चे बेहद खास थे. राजधानी के अनाथ आश्रम में रहने वाले बच्चे, मानसिक रुप से कमजोर बच्चे, जिनका अपना कोई परिवार नहीं है और जिनकी देखभाल का जिम्मा सरकारी संस्थाओं या एनजीओ ने उठाया है.

 पूरा दिन रहा बच्चों के नाम
 इस संस्था के सदस्यों ने आज पूरा दिन इन बच्चों के नाम कर दिया. जिसमें कई तरह की एक्टिविटीज करवाई गई. शुरुआत सुबह 8 बजे हुई जब इन बच्चों को एक साथ एक जगह निरंजन धर्मशाला लाया गया. जहां पूरा कार्यक्रम रखा गया था. सबसे पहले इन सभी बच्चों को नाश्ता दिया गया. नाश्ते के बाद इनका हेल्थ चेकअप किया गया. जिसमें खासतौर से बच्चों के आंख और कान की जांच की गई. इस दौरान कई बच्चों को चेकअप के तुरंत बाद चश्मा और हियरिंग एड भी दिया गया.
साथ ही कल्चरल एक्टिविटी (डांसिंग,सिंगिंग) भी रखी गई थी. जिसमें बच्चों ने बढ-चढकर हिस्सा लिया. इस एक्टिविटी से ना सिर्फ बच्चे खुश थे बल्कि इन बच्चों की प्रतिभा ने उन तमाम लोगों के चेहरे पर भी एक मुस्कान बनाये रखी,जो वहां मौजुद थे.
लोग मिलते गये कारवां बनता गया
आशाएं की शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है. 2010 में कुछ युवाओं ने अपनी पॉकेट मनी से एेसे बच्चों की मदद करने की बात सोची जो अभावग्रस्त हैं,और धीरे-धीरे ये सोच बड़ी होती गई. कई युवा इससे जुड़ते गये औऱ अब इस संस्था में अब 300 से भी ज्यादा मेंबर हैं. आज इसमें सैकड़ों सदस्य जुड़े हुए हैं. आज के कार्यक्रम में 200 से ज्यादा सदस्यों ने अपना योगदान दिया. जिनमें नमित जैन, यश टुटेजा, तरणजीत, राहुल, मुकेश, शौर्य, सौरभ, कमल व अन्य कई लोगों का विशेष योगदान रहा.
महापौर प्रमोद दुबे ने जमकर की संस्था की तारीफ
दिनभर के कार्यक्रम का समापन शाम को हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर महापौर प्रमोद दुबे पहुंचे हुये थे. उन्होंने इस संस्था की खुले दिल से तारीफ करते हुये कहा कि इस संस्था की शुरुआत युवाओं ने अपनी पॉकेट मनी बचाकर की और तब की जब वो खुद काफी कम उम्र के थे. अब इन आठ सालों में ये संस्था लगातार अपना काम बेहतर काम कर रही है और प्रदेश के लिये एक मिसाल है. इसके साथ ही शहर की अन्य प्रमुख हस्तियां भी मौजूद रहे. गुरुचरण सिंह होरा, मीनाक्षी टुटेजा, डॉ लोकेश कावड़िया समेत शहर के कई नामचीन डॉक्टर मौजूद रहे. साथ ही जेसीसी प्रवक्ता नितिन भंसाली, एमआईसी मेंबर एजाज ढेबर, सतनाम पनाग व अन्य लोग मौजूद थे. दिनभर चले कार्यक्रम के बाद बच्चों को स्कूल बैग, सेफ्टी किट व अन्य सामग्री देते हुये विदा किया गया.