तो क्या अब पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने वाले है? ऐसा इसलिए क्योंकि बढ़ते पेट्रोल-डीजल की कीमतों की वजह से पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश है. हालांकि पिछले दिनों सरकार ने एक झटके में तेल के दाम में टैक्स घटाकर लोगों को राहत दी थी.
इसी बीच एक बार फिर उपभोक्ताओं को सस्ता पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा तेल विपणन कंपनियों ने देश में उपभोक्ताओं को नहीं दिया है. ऐसे में सरकार ईंधन उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की नीति की समीक्षा कर सकती है.
एक मई, 2017 से पांच शहरों में दैनिक आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम की समीक्षा करने की व्यवस्था शुरू हुई थी. जबकि रसोई गैस और विमान ईंधन के मामले में इसे 15 दिन पर किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार मौजूदा वाहन ईंधन मूल्य निर्धारण व्यवस्था की समीक्षा कर सकती है क्योंकि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने सात अप्रैल से पेट्रोल पंप पर दरों में दैनिक परिवर्तन बंद कर दिया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जून के पहले पखवाड़े की तुलना में जुलाई में यानी एक माह में पेट्रोल-डीजल की कीमत में 17 फीसदी गिरावट आई है.
सरकार ने जब मई में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की तो कंपनियों ने केवल उतनी ही राशि कम की और अपनी ओर से नहीं घटाया.
कंपनियों ने दाम नहीं घटाए
इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वालों के मुताबिक मौजूदा नीति के अनुसार तेल विपणन कंपनियों को इस महीने ईंधन की कीमतों में कमी करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है.